लॉकडाउन में डूबा सेब का व्यापार

फोटो: 7 एसएचवाइ 9 से 15 - 200 से 400 रुपए में बिक रही 1200 में बिकने वाली सेब की पेटी - नया सेब

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 01:00 AM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 01:00 AM (IST)
लॉकडाउन में डूबा सेब का व्यापार
लॉकडाउन में डूबा सेब का व्यापार

फोटो: 7 एसएचवाइ 9 से 15

- 200 से 400 रुपए में बिक रही 1200 में बिकने वाली सेब की पेटी

- नया सेब आने से कोल्ड स्टोर में रखे पुराने सेब की माँग हुई शून्य

झाँसी : फलों में सबसे अधिक कीमत और अहमियत रखने वाले सेब का बा़जार लॉकडाउन के करण इस बार सबसे निचले स्तर पर पहुँच गया है। झाँसी फल मण्डी के सेब व्यापारियों का दिल कोल्ड स्टोर में सैंकड़ों टन सेब को देखकर बैठा जा रहा है। व्यापारियों ने सरकार से मण्डी शुल्क माफ कर पूर्व में जमा कराई राशि वापस करने की माँग की है।

कोरोना वायरस ने देश के प्रत्येक व्यक्ति को किसी न किसी तरीके से आर्थिक क्षति पहुँचायी है। कोरोना की ़जद में आने से फल मण्डी के सेब व्यापारियों को सबसे अधिक नु़कसान उठाना पड़ा है। 25 मार्च से देश में सम्पूर्ण लॉकडाउन के दौरान आवश्यक वस्तुओं की थोक व फुटकर दुकानों को खोले जाने की सशर्त अनुमति दे दी गई, लेकिन नगर के बाकी इलाकों में लॉकडाउन होने के चलते सेब व्यापारियों को भारी नु़कसान उठाना पड़ा है। पिछले साल जिस सेब से व्यापारियों ने लाभ कमाया, अब वही सेब उनकी चिन्ता का कारण बन गया है।

फुटकर दुकानदारों की पौ-बारह

एक तरफ जहाँ सेब के थोक व्यापरियों को लॉकडाउन ने आर्थिक झटका दिया है तो दूसरी तरफ फुटकर विक्रेताओं को सेब की कीमत कम होने का दोगुना लाभ हो रहा है। थोक व्यापारी बताते हैं कि स्टोर में माल खराब न हो, इसके लिए उसे 30 से 50 रुपये प्रति किलो में बेचना पड़ रहा है। वहीं, फुटकर दुकानदार और हाथ ठेला वाले वही सेब ग्राहक को 100 रुपये प्रति किलो के रेट में दे रहे हैं।

- चाइनी़ज सेब ने बनाया छोटे दुकानदारों का काम

फल व्यावसायी बताते हैं कि भारतीय सेब के मुकाबले चीनी सेब देखने में काफी आकर्षक और 200 रुपये किलो तक महँगा होता है। यही वजह है कि मण्डी से 40 रुपये किलो सेब ले जाने वाले दुकानदार इन सेब को चाइनी़ज से तुलना करके 100 रुपये किलो में बेच देते हैं।

यह कहना है व्यापारियों का

- उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मण्डल के अध्यक्ष सुरेश मानकानी का कहना है कि बा़जार में नये सेब की आवक शुरू हो गई है और पुराना सेब अभी कोल्ड स्टोर में ही पड़ा है, जिससे व्यापारियों को भारी नु़कसान होना निश्चित है। सरकार को व्यापारी हितों के लिए लॉकडाउन के दौरान जमा कराए गए मण्डी शुल्क को वापस कर देना चाहिए।

- सेब व्यावसायी राकेश कुमार की फल मण्डी में आढ़त है। वह कहते हैं कि नवरात्र से सेब की डिमाण्ड बढ़ जाती है, लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण सेब बा़जार में नहीं पहुँच सका।

- फलों के थोक व्यापारी आजाद खान का कहना है कि इस बार सेब के बा़जार की स्थिति बहुत खराब रही। जो सेब की पेटी 1 ह़जार से 1200 रुपये में बिकती थी, आज वह 200 से 400 रुपए में बिक रही है।

- मण्डी में फल की आढ़त चलाने वाले नन्दलाल बताते हैं कि पिछली साल सेब की कीमत 60 से 70 रुपये थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण स्टोर का माल ब्लॉक हो जाने के डर से सेब 40 रुपये अधिकतम कीमत पर बेचना पड़ा।

- व्यापारी राजेश कुमार सेब के बड़े व्यवसायी हैं। उनका कहना है कि झाँसी मण्डी का सेब जनपद के अलावा दूसरे ़िजलों में जाया करता था, लेकिन लॉकडाउन में परिवहन के साधन बन्द होने से फुटकर व्यापारियों ने आना बन्द कर दिया।

- अनीश राइन भी फल मण्डी में सेब का व्यापार करते हैं। वह कहते हैं कि लॉकडाउन में शादी-पार्टी पर प्रतिबन्ध होने के कारण सेब की खपत में भारी गिरावट आई है। पहले सेब की बिक्री उफान पर रहती थी, लेकिन अब सेब का व्यापार काफी धीमा हो चला है।

- रफीक राईन फल के कारोबारी हैं और फल मण्डी में आढ़त चलाते हैं। उनका कहना है कि सेब की हालत बहुत ही खराब स्थिति में है। वह बताते हैं कि स्टोर में यदि 100 पेटी सेब को खोलकर देखा जाए तो उसमें 50 पेटी सेब खराब हो चुका होता है, जिससे व्यापारी को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।

वसीम शेख

समय 07:15

07 जुलाई 2020

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