गुरु पूर्णिमा पर्व पर ऑनलाइन दर्शन देंगे गुरुजी
फोटो 0 मन्दिरों में नहीं होंगे आयोजन, घर में चरण पादुकाओं का पूजन करेंगे शिष्य झाँसी : गुरु-शि
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0 मन्दिरों में नहीं होंगे आयोजन, घर में चरण पादुकाओं का पूजन करेंगे शिष्य
झाँसी : गुरु-शिष्य की इस पौराणिक परम्परा के निर्वहन और मिलन में इस वर्ष कोरोना आड़े आया, तो गुरुओं ने भी कोरोना संक्रमण महामारी को देखते हुए गुरु पूर्णिमा पर्व पर शिष्यों से अपील करते हुए घर में रहकर इसे परिवार सहित मनाने का सन्देश दिया। रविवार को महानगर में गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा। इसको लेकर वर्ष भर पहले की तैयार की गई गुरु से मिलने की हसरत अधूरी रह जायेगी, क्योंकि आज गुरु ऑनलाइन दर्शन देंगे। सोशल मीडिया के माध्यम से शिष्य अपने गुरुओं का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करेंगे और घर में उनके चित्र और चरण-पादुकाओं का परिवार सहित पूजन अर्चन कर आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।
गोपीनाथ मन्दिर के पुजारी एवं ़िजला धर्माचार्य विष्णुदत्त स्वामी ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते सभी शिष्य उनके परिजनों एवं गुरुदेव के श्री चरणों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आज अपने-अपने घर में अपने गुरुदेव के छायाचित्र के सामने प्रणाम करते हुए मानसिक पूजन करेंगे। पूजन अर्चन कार्यक्रम सुबह 9 बजे से प्रारम्भ होकर सायंकाल 6 बजे तक चलेगा।
- लक्ष्मी गेट बाहर स्थित आदिशक्ति महाकाली विद्या पीठ के पुजारी गोपाल त्रिवेदी ने बताया कि गुरु पूर्णिमा पर्व पर काली मन्दिर वर्तमान समयानुसार खुला रहेगा। जो भक्त माँ के दर्शन एवं गुरु के दर्शन करना चाहते हैं, वे मास्क और सैनिटाइ़जर का प्रयोग करते हुए मन्दिर में प्रवेश करेंगे।
आत्मा का परमात्मा से मिलन कराता है गुरु
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जीवन में बहुपयोगी साबित हो रही है गुरु की डाँट
आज गुरु पूर्णिमा पर्व पर अपने गुरु से न मिलने का मलाल हर एक शिष्य को रहेगा। उन्हीं में से एक नरिया बा़जार निवासी शगुफ्ता खान हैं। शगुफ्ता एक जानी पहचानी कत्थक नृत्यांगना है। इस मुकाम को हासिल करने के लिए उन्हें गुरु की शरण में रहकर कड़ी साधना करना पड़ी। देश के कई मंचों पर अपने नृत्य की शानदार प्रस्तुति से अपनी पहचान बनाने वालीं शगुफ्ता ने बताया कि इस वर्ष उन्होंने गुरु पूर्णिमा को कुछ अलग अन्दाज में मनाने का प्लैन तैयार किया था, लेकिन कोरोना काल में उनके प्लैन पर पानी फिर गया। आज इस मुकाम पर पहुँचने के बाद लगा कि जब गुरुदेव उन्हें डाँटा करते थे, तो उन्हें बहुत बुरा लगता था। उन्होंने अपने गुरु पद्मश्री डॉ. पुरु दधीच को कभी यह एहसास नहीं होने दिया कि वह उनकी शिष्या हैं, क्योंकि एक अध्यापक के तो सभी बच्चे शिष्य ही होते हैं, लेकिन मैंने मन में उन्हें गुरु मानकर उनके दिशा निर्देशन में तालीम हासिल की। आज उसका नतीजा मेरे सामने है।
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पिता को गुरु बनाने से जीवन जीने का म़कसद मिल गया
खुशीपुरा निवासी राज मुस्तारिया ने अपने पिता को गुरु मानकर पिता के मार्गदर्शन में ही जीवन में कुछ करने का संकल्प लिया और आज शिक्षक बनकर बच्चों को शिक्षा के साथ ही संस्कारों का भी पाठ पढ़ा रहे हैं। गुरु पूर्णिमा पर्व पर वे अपने पिता का पूजन कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं। राज ने बताया कि पिता के मार्गदर्शन में उन्हें जीवन जीने का मकसद मिला, क्योंकि एक समय था। जब वे भटक कर गलत रास्ते पर चले गए थे। तब पिता की डाँट बहुत काम आई थी।
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नगरिया कॉलनि निवासी दीपक कुमार ने अपनी माँ को अपनी गुरु मानकर उनके बताए मार्ग पर चलते हुये जीवन की शुरूआत की। दीपक पेशे से फोटोग्राफर हैं और अपने व्यवसाय से जितना कमाते हैं, उससे अपने परिवार की हर जरूरत को पूरा करते हैं। परिवार और दोस्तों ने बहुत कहा कि अपने लिए कोई गुरु बना लो, तो मैंने अपनी माँ को ही अपना गुरु मान लिया और उनके दिशा निर्देशन में काम करना शुरू कर दिया।
नरेन्द्र प्रताप सिंह
समय 8.15
दिनांक 4 जुलाई 2020