सरकारी अनुदान नहीं, विद्यार्थियों के शुल्क से चलता है विश्वविद्यालय

0 शुल्क वृद्धि वापस लेने के छात्र संगठनों के आन्दोलन के बाद बुन्देलखण्ड विवि प्रशासन ने जारी किया स्

By JagranEdited By: Publish:Sat, 06 Jun 2020 08:42 PM (IST) Updated:Sat, 06 Jun 2020 08:42 PM (IST)
सरकारी अनुदान नहीं, विद्यार्थियों के शुल्क से चलता है विश्वविद्यालय
सरकारी अनुदान नहीं, विद्यार्थियों के शुल्क से चलता है विश्वविद्यालय

0 शुल्क वृद्धि वापस लेने के छात्र संगठनों के आन्दोलन के बाद बुन्देलखण्ड विवि प्रशासन ने जारी किया स्पष्टीकरण

0 विवि परिसर में संचालित पाठ्यक्रमों के नवप्रवेशित विद्यार्थियों की ही होगी शुल्क वृद्धि

0 महाविद्यालयों के परीक्षा शुल्क में कोई वृद्धि नहीं

झाँसी : बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्ववित्त पोषित योजना में प्रवेश पाने वाले नए विद्यार्थियों की शुल्क वृद्धि को लेकर हो रहे विरोध पर आज स्पष्टीकरण जारी किया है।

विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी बयान में कहा गया विवि परिसर में स्ववित्त पोषित योजना के अन्तर्गत चल रहे विभिन्न पाठ्यक्रमों के शुल्क में हुई आशिक वृद्धि वापस लेने को लेकर कई छात्र व अन्य संगठनों ने कुलपति प्रो. जेवी वैशम्पायन को प्रत्यावेदन दिए, जबकि कई संगठनों ने इसका समर्थन भी किया।

विवि प्रशासन का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय को किसी भी प्रकार का वित्तीय अनुदान नहीं दिया गया है। विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के शुल्क से ही चलता है। परिसर में अध्ययनरत विद्यार्थियों द्वारा दिये गये शुल्क तथा सम्बद्ध महाविद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के परीक्षा शुल्क पर ही वित्तीय रूप से विश्वविद्यालय निर्भर है। पिछले कई वषरें से किसी भी पाठ्यक्रम में कोई भी शुल्क वृद्धि नहीं की गई। विवि प्रशासन का कहना है कि महाविद्यालयों में चल रहे पाठ्यक्रमों में किसी भी प्रकार की शुल्क बढ़ोत्तरी नहीं की गई है, जबकि शासन ने मूल्यांकन व प्रश्नपत्र निर्माण की नई दरें लागू कर दी हैं। विवि के मीडिया प्रभारी का कहना है कि वर्तमान में सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुसार विश्वविद्यालय में कार्यरत स्थायी शिक्षकों, अधिकारियों तथा कर्मचारियों को वेतन दिया जा रहा है तथा सभी को वेतन के ऐरियर का भुगतान भी किया गया है। स्ववित्त पोषित योजना के अन्तर्गत कार्यरत शिक्षकों व कर्मचारियों की भी अभी हाल ही में 8 प्रतिशत से 14 प्रतिशत तक की वेतन वृद्धि की गई है, जिससे विश्वविद्यालय पर अतिरिक्त व्यय भार बढ़ा है।

विवि के अधिकारियों, विभागाध्यक्ष व पाठ्यक्रम समन्वयकों की बैठक में लगभग 3 प्रतिशत से 50 प्रतिशत शुल्क वृद्धि किए जाने की संस्तुति की गई थी, जिसे विवि की वित्त समिति व कार्य परिषद का अनुमोदन मिलने के बाद निर्णय लिया गया कि सत्र 2020-21 में विश्वविद्यालय परिसर में नवप्रवेशित विद्यार्थियों से बढ़ा हुआ शुल्क लिया जाएगा। इस शुल्क वृद्धि का असर द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ एवं पंचम सेमेस्टर, द्वितीय एवं तृतीय वर्ष के छात्रों पर नहीं पड़ेगा।

फोटो: 6 जेएचए 5

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मोबाइल फोन के रेडियेशन से बढ़ा ख़्ातरा

0 विवि के इंस्टिट्यूट ऑफ एंजिनियरिंग ऐण्ड टेक्नॉलजि के तत्वावधान में हुई वेबिनार में विशेषज्ञ ने दी बचने की सलाह

झाँसी : मोबाइल फोन से रेडियेशन की हानि को लेकर अलग-अलग शोध सामने आए हैं। इसमें उपभोक्ता पर टावर से दूरी का असर सबसे अधिक है। मोबाइल टावर नजदीक और तय मानक से कम ऊँचाई पर होने से सबसे अधिक घातक होता है, इसीलिए मोबाइल फोन का उपयोग करते समय इस सब पर नज़र रखने की जरूरत है।

बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक्स ऐण्ड कम्युनिकेशन एंजिनियरिंग विभाग के वेबिनार को सम्बोधित करते हुए हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटि कानपुर के प्रति कुलपति प्रो. एमके शुक्ला ने कहा कि छोटी-छोटी जानकारियों के माध्यम से मोबाइल के रेडिएशन से होने वाली हानियों को बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि दो ऐण्टिना वाले मोबाइल टावर की ऊँचाई 20 मीटर, 4 ऐण्टिना की 45 मीटर तथा 6 ऐण्टिना वाले टावर की ऊँचाई 55 मीटर होनी चाहिए और इससे कम ऊँचाई पर भारत सरकार में शिकायत की जा सकती है। उन्होंने कहा कि मोबाइल टावर के पास घर होने पर रेडियेशन को रोकने के लिए लकड़ी व दीवार मददगार होती है। ऐसे घर में यदि खिड़की पर शीशे हैं, तो उन पर कागज के कॉर्टून लगाकर रेडियेशन को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि मोबाइल को स्पीकर पर रखकर या एयरफोन लगाकर ही बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाएं पर्स में मोबाइल फोन रखती हैं, जिससे रेडियेशन का खतरा कम रहता है, लेकिन पुरुष जेब में मोबाइल रखकर खतरा बढ़ाते हैं। इसीलिए कार, कार्यालय या अन्य जगह बैठें तो मोबाइल फोन को निकालकर मेज पर रख लेने से खतरा कम होता है। उन्होंने सप्ताह में एक दिन मोबाइल व अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूरी बनाने का सुझाव दिया।

अध्यक्षता डीन एंजिनियरिंग प्रो. एसके कटियार ने की। वेबिनार में देश के 5 राज्यों व 15 विभिन्न एंजिनियरिंग कॉलिज के शिक्षक जुड़े। संयोजक डॉ. अनुपम व्यास ने संचालन किया। समन्वयक बृजेन्द्र शुक्ला ने आभार व्यक्त किया। इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स विभागाध्यक्ष डॉ. जाकिर अली, डॉ. नौशाद सिद्दीकी, राजेश वर्मा, लाखन सिंह, शशिकान्त वर्मा, आकांक्षा गुप्ता, साक्षी दुबे व डॉ. अभय उपाध्याय ने हिस्सा लिया।

फाइल-रघुवीर शर्मा

समय-8.10

6 जून 2020

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