लॉकडाउन में बिजली मीटर ने दिया 'करण्ट'

- बिल देखकर उपभोक्ताओं के होश उड़े, लगा रहे दफ्तरों के चक्कर - 2 महीने की रीडिंग से बदल गया एनर्जी

By JagranEdited By: Publish:Fri, 29 May 2020 01:03 AM (IST) Updated:Fri, 29 May 2020 01:03 AM (IST)
लॉकडाउन में बिजली मीटर ने दिया 'करण्ट'
लॉकडाउन में बिजली मीटर ने दिया 'करण्ट'

- बिल देखकर उपभोक्ताओं के होश उड़े, लगा रहे दफ्तरों के चक्कर

- 2 महीने की रीडिंग से बदल गया एनर्जी रेट का स्लैब

- विभाग ने कहा- मैन्युअल प्रक्रिया नहीं, सॉफ्टवेयर से होती है बिलिंग

झाँसी : लॉकडाउन में सरकार ने उपभोक्ताओं को 2 माह तक बिल जमा न करने की जो राहत दी थी, वह अब आफत बन गयी है। 60 से 70 दिन बाद बने बिल को देखकर उपभोक्ताओं के होश उड़ गए हैं। उपभोक्ताओं के हिसाब से बिल कहीं अधिक आया है, जबकि विभाग मीटर्ड यूनिट के हिसाब से बना बिल सही होने की बात कह रहा है। हालाँकि उपभोक्ताओं का यह बढ़ा बिल उनका एनर्जी रेट स्लैब बदलने के कारण भी आया है। अधिक यूनिट होने के कारण इस बार उनकी बिलिंग उच्च एनर्जी रेट पर हुई है, जो सामान्य रूप से नहीं होती थी। परेशान उपभोक्ता बिल लेकर बिजली विभाग के चक्कर लगा रहे हैं, पर उनकी समस्या का समाधान हो नहीं रहा है।

25 मार्च से लॉकडाउन होने के बाद पावर कॉर्पोरेशन ने मार्च व अप्रैल का बिल न बनाने के निर्देश दिये थे। निर्देश था कि हर माह औसत बिल बनाकर भेजा जाएगा, जिसे बाद में सही बिल बनने पर समायोजित कर दिया जाएगा। उपभोक्ताओं को भी लग रहा था कि इस कठिन समय में पावर कॉर्पोरेशन की ओर से यह बड़ी राहत दी गयी है, पर ऐसा हुआ नहीं। मई माह में जैसे ही बिलिंग शुरू हुई तो बिजली मीटर से 'करण्ट' लगने लगा। दो माह का बिल बहुत अधिक आने की शिकायत उपभोक्ताओं द्वारा की जा रही है। ऐसा क्यों हुआ, इसमें एक तकनीकि पेच है, जिसे समझना होगा। बिजली विभाग हर उपभोक्ता की बिलिंग मीटर में आयी रीडिंग के आधार पर करता है और रीडिंग के हिसाब से एनर्जी रेट का स्लैब है। मसलन, 0-150 यूनिट तक एनर्जी रेट कम है तो 151-300 यूनिट तक उससे अधिक, 300-500 यूनिट तक उससे भी अधिक और 500 यूनिट से भी अधिक पर सबसे अधिक। प्रति माह होने वाली बिलिंग में यूनिट कम होती हैं, इसलिए निचला एनर्जी स्लैब लगता है और बिल कुछ और बनता है, पर इस बार 2 माह से अधिक की रीडिंग में यूनिट बढ़ गयीं और एनर्जी रेट स्लैब बदल गया। इससे अधिक एनर्जी रेट के हिसाब से बिल बन गया, जो उपभोक्ताओं को अधिक लग रहा है। इसे उदाहरण से समझिए। किसी व्यक्ति के घर प्रति माह 200 यूनिट की खपत होती है तो उसकी बिलिंग 151-300 यूनिट के स्लैब में होती है, 2 माह में अगर उसने 400 यूनिट बिजली का उपभोग किया तो स्लैब बदलकर 300-500 यूनिट वाला हो जाएगा यानी, पूरे 400 यूनिट पर उसे प्रति यूनिट अधिक भुगतान करना होगा। एनर्जी रेट का स्लैब देखकर समझिए कि पहले 200 यूनिट के लिए सम्बन्धित व्यक्ति को 6 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से 1,200 रुपए एनर्जी चार्ज देना था, पर अब उसे 6.50 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से 400 यूनिट का 2,600 रुपए देना पड़ा। यानी, पहले उसे दो माह में 2,400 रुपए देने होते, जो बढ़कर 2,600 हो गए - सीधे-सीधे 200 रुपए का नु़कसान। वहीं, विभागीय अधिकारियों का कहना है कि बिलिंग सॉफ्टवेयर आधारित होती है, सॉफ्टवेयर रीडिंग के अनुसार ही एनर्जी रेट लेता है। इसकी मैन्युअल प्रक्रिया नहीं है, इसलिए विभाग इसे बदल नहीं सकता।

गर्मी ने भी दिया झटका, लोड बढ़ाए गए

जिस समय बिलिंग बन्द हुई, उस वक्त गर्मी की वजह से विद्युत उपकरणों का उपयोग घरों में बढ़ गया। इसका पहला नु़कसान यह हुआ कि खपत कहीं अधिक बढ़ गयी, जिस कारण उच्च एनर्जी रेट स्लैब लग गया वहीं, लगातार 2 माह अधिक रीडिंग आने से विद्युत की डिमाण्ड निर्धारित लोड से अधिक आने लगी। विभाग ने ऐसे उपभोक्ताओं का विद्युत भार भी 1 से 2 किलोवॉट तक बढ़ा दिया है, जिसका भुगतान भी उन्हें करना होगा। वहीं, लॉकडाउन में पूरे परिवार के एक साथ घर पर ही रहने से भी विद्युत की खपत घरों में बढ़ी। इन्हीं कुछ कारणों की वजह से बिल कहीं अधिक आ गया है।

सन्तुष्ट नहीं हैं तो दूसरे विकल्प पर जाएं

बिल लेकर दफ्तरों के चक्कर लगा रहे विद्युत उपभोक्ता यदि बिलिंग से सन्तुष्ट नहीं हैं तो इसके लिए वे विद्युत उपभोक्ता फोरम का दरवा़जा खटखटा सकते हैं। इस फोरम में विद्युत से सम्बन्धित मामलों की ही सुनवाई होती है और यह मुन्नालाल पावर हाउस के बगल वाले कार्यालय में बनी है। इस फोरम में आप अपनी पैरवी खुद कर सकते हैं। अगर आपकी दलील में दम होगा तो आपको न्याय मिलेगा। अगर आप फिर भी सन्तुष्ट न हों तो ़िजला उपभोक्ता फोरम या लखनऊ में लगने वाली उपभोक्ता अदालत का रुख भी कर सकते हैं।

बीच में बॉक्स

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यह है एनर्जी रेट स्लैब

घरेलू कनेक्शन के लिए

यूनिट (किलोवॉट में) : एनर्जी रेट (प्रति यूनिट)

0-150 : 5.50 रुपए

151-300 : 6 रुपए

300-500 : 6.50 रुपए

500 से अधिक : 7 रुपए

फाइल : हिमांशु वर्मा

समय : 7.20 बजे

28 मई 2020

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