बालिकाओं की माहवारी के आँकड़े एकत्र करेगा बेसिक शिक्षा विभाग

लोगो : जागरण एक्सक्लूसिव ::: - एआरपी की चेकलिस्ट के एक बिन्दु पर विवाद, लोगों ने बताया निजता पर

By JagranEdited By: Publish:Thu, 27 Feb 2020 01:00 AM (IST) Updated:Thu, 27 Feb 2020 06:05 AM (IST)
बालिकाओं की माहवारी के आँकड़े एकत्र करेगा बेसिक शिक्षा विभाग
बालिकाओं की माहवारी के आँकड़े एकत्र करेगा बेसिक शिक्षा विभाग

लोगो : जागरण एक्सक्लूसिव

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- एआरपी की चेकलिस्ट के एक बिन्दु पर विवाद, लोगों ने बताया निजता पर प्रहार

झाँसी : बेसिक शिक्षा विभाग अब परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत बालिकाओं की माहवारी (पीरियड्स) के आँकड़े भी एकत्र करेगा। किशोरावस्था की समस्या के कारण स्कूल नहीं आने वाली बालिकाओं की सूचना प्रेरणा ऐप में दर्ज की जाएगी। इस सम्बन्ध में निर्देश जारी होने के बाद विभाग में अफरा-तफरी का माहौल है। वहीं, अभिभावकों व शिक्षकों ने इसे बच्चियों की निजता पर प्रहार बताया है। इसका कड़ा विरोध भी होने की सम्भावना है।

परिषदीय विद्यालयों की दशा को सँवारने के लिए शासन द्वारा कई योजनाएँ शुरू की गई हैं। इसी कड़ी में बेसिक शिक्षा विभाग में प्रेरणा ऐप लौंच किया गया। अनेक अधिकारी इसी ऐप के माध्यम से विद्यालयों का निरीक्षण कर रहे हैं और अपनी रिपोर्ट भी ऑनलाइन भेज रहे हैं। विद्यालयों में शिक्षकों को शैक्षिक सपोर्ट के लिए 5 अलग-अलग विषयों के विशेषज्ञ एआरपी (ऐकडेमिक रिसोर्स पर्सन) का चयन किया गया है। विभागीय अधिकारियों के निर्देशानुसार प्रत्येक एआरपी महीने में 30 विद्यालयों का निरीक्षण करेंगे और अपनी रिपोर्ट प्रेरणा ऐप पर दर्ज करेंगे। एआरपी के लिए चेकलिस्ट जारी की गई है। इसमें एक बिन्दु पर विवाद उत्पन्न हो गया है। चेकलिस्ट में कहा गया है कि पिछले महीने अवलोकित की गई कक्षा में जो बालक-बालिका 15 दिन या उससे अधिक अनुपस्थित रहे, इसके कारण का पता लगाया जाए। कुल 14 कारणों के विकल्प दिए गए हैं। इनमें से कारण नम्बर 12 को लेकर कोहराम मचा हुआ है। इसमें कहा गया है कि बालिकाओं की स्कूल से अनुपस्थिति का कारण प्राय: माहवारी की समस्या होती है। कई बार इसी कारण अनेक बालिकाएँ स्कूल नहीं जाती हैं। माहवारी के कारण स्कूल न जाने वाली बालिकाओं की सूचना प्रेरणा ऐप में दर्ज होगी। कुछ शिक्षक और अभिभावक इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह हमारी बेटियों की निजता पर प्रहार है। सरकार को प्रयोगों के नाम पर निजी मामलों में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जा सकती है। माहवारी जैसी अत्यन्त निजी जानकारी भला कैसे सार्वजनिक की जा सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो इस विषय पर खुले रूप से बात करना भी मुमकिन नहीं है। बता दें कि प्रेरणा ऐप लौंच होने के बाद शिक्षकों को भी सेल्फी के माध्यम से उपस्थिति देने के लिए बाध्य किया जा रहा था, लेकिन तीव्र विरोध के कारण सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा था। शिक्षकों ने तब कहा था कि शिक्षिकाओं की सेल्फी माँगना उनकी निजता पर प्रहार है।

प्रशिक्षणों से चरमराई विद्यालयों की शिक्षण व्यवस्था

- शिक्षक निष्ठा और रिमीडियल प्रशिक्षण में व्यस्त

- सैकड़ों शिक्षक कर रहे बोर्ड परीक्षा की ड्यूटि

झाँसी : परिषदीय विद्यालयों में शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। सैकड़ों शिक्षकों को ब्लॉक एवं जनपद स्तरीय प्रशिक्षणों में लगा दिया गया है और बचे हुए शिक्षक बोर्ड परीक्षा की ड्यूटि कर रहे हैं। इससे कई विद्यालयों में ताले लटकने की नौबत आ गई है। विद्यालयों में शिक्षकों के अभाव में बच्चों का भविष्य चौपट हो रहा है।

बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में इन दिनों शिक्षक नदारद हैं। हालात इतने बदतर हो गए हैं कि कई विद्यालयों में तो ताले लटक गए हैं। दरअसल इस समय विभाग के महत्वाकाक्षी और बहुचर्चित प्रशिक्षण 'निष्ठा' का शुभारम्भ हो चुका है। 5 दिवसीय इस प्रशिक्षण को समस्त प्रधानाध्यापकों, सहायक अध्यापकों, शिक्षामित्रों और अनुदेशकों लेना अनिवार्य है। 'निष्ठा' प्रशिक्षण सोमवार से ़िजले की समस्त बीआरसी पर पूरे तामझाम के साथ प्रारम्भ हो गया है। इसमें शिक्षकों को लगभग 4 बैच में प्रशिक्षित किया जाएगा। एक बैच में लगभग 100 शिक्षकों को शामिल किया जा रहा है। वहीं, बड़ी संख्या में उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक डायट बरुआसागर में रिमीडियल प्रशिक्षण में भी प्रतिभाग कर रहे हैं। डायट में अंग्रे़जी, विज्ञान और गणित विषयों के शिक्षक प्रशिक्षण ग्रहण कर रहे हैं। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाइस्कूल व इण्टरमीडिएट की बोर्ड परीक्षाओं में बड़ी संख्या में परिषदीय शिक्षकों, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों की ड्यूटि कक्ष निरीक्षक के रूप में लगाई गई। एक साथ दो-दो प्रशिक्षण और बोर्ड परीक्षा की ड्यूटि के कारण कई विद्यालयों में ताले लटक गए हैं। जो स्कूल खुले हैं, उनमें शिक्षकों की संख्या बेहद कम होने के कारण शिक्षण व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। विभागीय जानकारों का कहना है कि वर्तमान शैक्षिक सत्र में परिषदीय विद्यालयों की शिक्षण व्यवस्था का दोबारा पटरी पर लौटना मुमकिन भी नहीं है - 'निष्ठा' प्रशिक्षण मार्च के अन्तिम सप्ताह तक जारी रहेगा। वहीं, रिमीडियल का फॉलोअप प्रशिक्षण भी मार्च में चलेगा। उधर बोर्ड परीक्षाएँ भी मार्च के प्रथम सप्ताह तक होंगी। ऐसे में इन विद्यालयों में वार्षिक परीक्षा तक शिक्षकों का टोटा बना ही रहेगा। बेसिक शिक्षा परिषद की सचिव ने पहले ही 16 से 23 मार्च के मध्य परिषदीय विद्यालयों में वार्षिक परीक्षाओं का आयोजन करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। शिक्षण कार्य प्रभावित होने से बच्चे निराश हैं। परीक्षा के ठीक पहले जब उन्हें अपने शिक्षकों की स्कूल में सबसे अधिक ़जरूरत है तो उनके गुरु जी स्कूलों से गायब हैं।

सत्र के अन्त में ही क्यों होते हैं प्रशिक्षण?

सेवारत शिक्षकों को दिए जाने वाले प्रशिक्षण के समय पर अब सवाल उठ रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि कई वर्षो से शिक्षकों के अधिकाश प्रशिक्षण सत्र समाप्ति के कुछ महीने पहले ही आयोजित किए जाते हैं। इससे प्रशिक्षण का वास्तविक लाभ बच्चों को नहीं मिल पाता है। यदि यही प्रशिक्षण सत्र के प्रारम्भ से ही कराए जाएँ तो बच्चे भी लाभान्वित होंगे और परीक्षाओं के समय शिक्षकों का टोटा भी नहीं होगा। शिक्षकों का आरोप है कि बजट को ठिकाने लगाने के लिए जिम्मेदार प्रशिक्षण को सत्र के अन्त में आनन-फानन में आयोजित कर अपने क‌र्त्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं।

बीच में बॉक्स

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सरकार को लाखों का चूना लगना तय

बेसिक शिक्षा विभाग का बहुचर्चित निष्ठा प्रशिक्षण प्रारम्भ होने से पहले ही सुर्खियों में आ गया था। प्रशिक्षण में शिक्षकों को दिए जाने वाले भोजन का मेन्यू बेहद खास है। इस पर मोटी ऱकम खर्च की जा रही है। एक शिक्षक के भोजन और चाय-नाश्ते पर 500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 5 दिनों में कुल ढाई ह़जार रुपए का बजट आवण्टित किया गया है, और इसमें सरकार को लाखों रुपए का चूना लगना तय है। दरअसल, यह प्रशिक्षण सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य है, पर दिलचस्प बात यह है कि जो शिक्षक 31 मार्च को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उन्हें भी यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जबकि वे शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद विद्यालयों में इसका उपयोग ही नहीं कर पाएंगे और प्रशिक्षण में मिले ज्ञान की गठरी बाँधकर घर पर आराम फरमाएंगे। 16 मार्च से वार्षिक परीक्षाएँ शुरू होने की सम्भावना है। उसके पश्चात शिक्षण कार्य बन्द हो जाएगा। विभागीय सूत्रों का कहना है कि ़िजले के लगभग 100 परिषदीय शिक्षक वर्तमान शैक्षिक सत्र में सेवानिवृत्त हों जाएंगे। इस हिसाब से सरकार के लगभग ढाई लाख रुपए पानी में चले जाएंगे। पूरे प्रदेश की बात की जाए तो यह आँकड़ा करोड़ों रुपयों में पहुँच सकता है।

फाइल : सुरेन्द्र सिंह

समय : 8.30

26 ़फरवरी 2020

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