खेत पर न छोड़ें काटी गई ़फसलें

खेत-खलिहान - राजेश शर्मा ::: गेहूँ में आवश्यकता होने पर करें हल्की सिंचाई झाँसी : खेतों में

By JagranEdited By: Publish:Thu, 27 Feb 2020 01:00 AM (IST) Updated:Thu, 27 Feb 2020 06:05 AM (IST)
खेत पर न छोड़ें काटी गई ़फसलें
खेत पर न छोड़ें काटी गई ़फसलें

खेत-खलिहान

- राजेश शर्मा

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गेहूँ में आवश्यकता होने पर करें हल्की सिंचाई

झाँसी : खेतों में खड़ी मटर, मसूर और चने की फसल काटने का समय आ गया है। वैसे तो मौसम का मिजाज कटाई के अनुरूप है, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से किसान फसल काटने के बाद तत्काल थ्रेसिंग कर सुरक्षित कर लें, ताकि मौसमी बदलाव आफत बनकर फसलों को तबाह न कर सके। अक्सर देखने में आता है कि होली के आसपास ते़ज हवाओं के साथ कई बार बारिश व ओलावृष्टि हो जाती है, ऐसे में किसानों को भारी नु़कसान होता है। अगर गेहूँ की ़फसल की बात करें, तो प्रकृति ने इसे प्रभावित करना शुरू कर दिया है। तापमान बढ़ने से गेहूँ का दाना सिकुड़ने लगा है। इसका असर उत्पादन पर पड़ना तय है। कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि धूप ने ते़जी पकड़ ली है, जिससे गेहूँ की ़फसल को नु़कसान होने लगा है। इससे दाना कमजोर होगा। उन्होंने आवश्यकता होने पर गेहूँ की ़फसल में हल्की सिंचाई करने की सलाह दी है।

गमलों में सब़्िजयाँ

मकान के अहाते या छत पर सब़्िजयाँ उगाने के लिए सीमेण्ट, मिट्टी या प्लास्टिक के गमले अथवा डिब्बे उपयोग में लाए जा सकते हैं। इनकी तलहटी में एक छेद कर दें, ताकि पानी की अधिक मात्रा निकल जाए और पौधा सड़ने से बचे। इसके लिए गमले या डिब्बे में एक हिस्सा मिट्टी, एक हिस्सा बालू तथा एक हिस्सा सड़ी गोबर की खाद या कम्पोस्ट मिश्रण बना लें। मिश्रण को गमले में भरने से पहले उसमें आधा या एक चम्मच प्रति गमला के हिसाब से मैलाथियान या क्लोरपायरीफास धूल भी मिला दें। ऐसा करने से मिट्टी में पाए जाने वाले दीमक, चींटी, कुतरने वाले कीट आदि नष्ट हो जाते हैं।

ऐसे करें रोपाई

अधिकतर सब़्िजयों को सीधे बीजों की बुआई करके गमलों या डिब्बों में पैदा किया जाता है। कुछ सब़्िजयाँ जैसे बैगन, मिर्च, टमाटर, प्याज आदि को पहले बीज बोकर पौध तैयार की जाती है और बाद में गमलों या डिब्बों में पौध की रोपाई की जाती है। टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च, मिर्च जैसी सब़्िजयों का केवल एक पौधा एक गमले में रोपा जाता है, जबकि प्याज, लैटूस, पारस्ले के कई पौधे एक गमले में लगाए जा सकते हैं। खीरा, चप्पन कद्दू, करेला, भिण्डी, ग्वार तथा लोबिया के कई बीज प्रति गमला बोए जा सकते हैं। मूली, शलजम, गाजर, चुकन्दर, फ्रेंचबीन के कई बीज बोकर गमले के आकार के अनुसार कई पौधे प्रति गमला उगाए जा सकते हैं। चौलाई, पालक, विलायती पालक, मैथी, सरसों, कुल्फा, धनिया के बहुत से बीजों की बुआई एक गमले में की जा सकती है।

देखभाल : गमलों में सब्जियों का उत्पादन करने में काफी देखरेख की आवश्यकता होती है। इसमें मौसम के हिसाब से कार्य करने होते हैं। गर्मियों के समय पौधों को सुबह-शाम पानी देना होगा, जबकि सर्दी में अधिक पानी देना हानिकारक होगा। वर्षा के मौसम में फालतू पानी को गमलों से निकालते रहना चाहिए। लोबिया, ग्वार, टमाटर, खीरा, करेला जैसी सब्जियों को सहारे की आवश्यकता होती है, इसलिए गमले में बाँस या सूखी लकड़ी सुतली के साथ बाँधकर सहारा दिया जा सकता है।

उर्वरक का प्रयोग : रासायनिक खाद जैसे यूरिया अथवा अमोनियम सल्फेट पौधों की बढ़वार में मददगार होती है। साधारणत: 5 से 10 ग्राम यूरिया प्रति गमला गीली मिट्टी में 7 या 10 दिन के अन्दर पौध रोपाई के 2 सप्ताह बाद तथा बीज बुआई के 3 सप्ताह बाद दी जाए। अगर अमोनियम सल्फेट का प्रयोग करना है, तो इसकी मात्रा यूरिया से लगभग दो गुनी होनी चाहिए।

कीट व्यधि नियन्त्रण: सब़्िजयों के पौधे चैम्पा तथा तेला जैसे कीड़ों से प्रभावित हो जाते हैं। यह कीट पत्तियों तथा तनों का रस चूसकर नुकसान पहुँचाते हैं। इसके लिए मैलाथियॉन 2 मिली प्रति लिटर पानी का छिड़काव करने से इन कीड़ों को नष्ट किया जा सकता है। इनका प्रकोप फलों पर अधिक होता है। कुछ फफूँदीजनित बीमारियाँ जैसे पदगलन तथा उकठा पौधों को नु़कसान पहुँचाती हैं। इनसे बचाव के लिए फफूँदीनाशक दवा जैसे कैप्टान या मैंकोजेब 2 ग्राम दवा प्रति लिटर पानी के घोल से गमलों व डिब्बों की मिट्टी को अच्छी तरह से भिगो दें।

फाइल : राजेश शर्मा

26 फरवरी 2020

समय : 4.15 बजे

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