ऐतिहासिक स्मारकों व लोक संस्कृति को मिलेगी संजीवनी

0 इण्टैक में झाँसी को मिला प्रतिनिधित्व झाँसी : अनदेखी के अँधेरे में गुम होकर अस्तित्व खो रहीं ऐत

By JagranEdited By: Publish:Thu, 27 Feb 2020 01:00 AM (IST) Updated:Thu, 27 Feb 2020 01:00 AM (IST)
ऐतिहासिक स्मारकों व लोक संस्कृति को मिलेगी संजीवनी
ऐतिहासिक स्मारकों व लोक संस्कृति को मिलेगी संजीवनी

0 इण्टैक में झाँसी को मिला प्रतिनिधित्व

झाँसी : अनदेखी के अँधेरे में गुम होकर अस्तित्व खो रहीं ऐतिहासिक इमारतों व विलुप्त हो रही लोक संस्कृति को संजीवनी मिल सकती है। इतिहास को सँजोने वाले देश की सबसे बड़ी संस्था इण्टैक ने झाँसी को भी प्रतिनिधित्व दिया है। यहाँ संयोजक व सह संयोजक के साथ सदस्य नामित किया गया है।

बुन्देलखण्ड का नाता पौराणिक और समृद्धशाली अतीत से रहा है। यहाँ अनेक ऐतिहासिक इमारतें हैं, जिनके साथ अलग-अलग गाथाएँ जुड़ी हैं। किले, गढ़ी, बाबड़ी, तालाब व प्राचीन कुओं का गौरवशाली इतिहास रहा है, लेकिन संरक्षण के अभाव में ऐतिहासिक महत्व की समृद्ध विरासत विलुप्त होने की कगार पर आ गई है। अनेक किलों के अवशेष गायब हो गए हैं तो प्राचीन तालाब, बाबड़ियों पर ़कब़्जा कर लिए गए हैं। उपेक्षा की कुछ ऐसी ही परत बुन्देली लोक कला व संस्कृति पर भी जम गई है। हालत यह हो गई है कि बुन्देलखण्ड की प्रचलित बुन्देली बोली का दायरा अब मुट्ठीभर गाँवों में ही सिमटने लगा है, जबकि शहर के लोगों ने अपनी बोली से भी परहेज करना शुरू कर दिया है। कभी गाँव-गाँव चौपाल पर सजने वाली बुन्देली गीतों की महफिल भी अब गायब हो गई है, जिसने बुन्देली लोक कलाकारों के सामने रो़जी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है। पर, अब हालातों में परिवर्तन के संकेत मिलने लगे हैं। ऐतिहासिक महत्व की धरोहर व प्राचीन लोक संस्कृति के संरक्षण में अहम भूमिका निभाने वाली प्रतिष्ठित संस्था इण्डियन नैशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट ऐण्ड कल्चरल हेरिटेज (इण्टैक) ने झाँसी पर ऩजर-ए-इनायत कर ली है। संस्था ने सेवानिवृत्त ़िजला प्रोबेशन अधिकारी राजीव शर्मा को संयोजक, अरविन्द ओझा को सह संयोजक तथा पर्यटन विशेषज्ञ प्रदीप कुमार तिवारी को सदस्य नामित किया है। इससे गुमनामी का शिकार ऐतिहासिक स्मारकों, लोक कला और संस्कृति को संजीवनी मिल सकती है, क्योंकि पद मिलते ही इण्टैक के प्रतिनिधियों ने स्मारकों के संरक्षण का रोडमैप बनाना शुरू कर दिया है।

विश्व पटल पर झाँसी को लाने की होगी पहल

वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की वीरता का डंका पूरे विश्व में बजता है। शायद ही कोई हो, जो इस वीरांगना के पराक्रम से परिचित न हो, लेकिन फिर भी वीरांगना की नगरी पर्यटकों से अछूती है। रेलवे स्टेशन पर विदेशी पर्यटकों का जत्था रो़ज आता है, लेकिन बिना रुके ही मध्य प्रदेश की ओर रुख कर जाता है। कोशिशें कामयाब हुई तो यह सैलानी भारत यात्रा प्लैन में झाँसी को भी शामिल करेंगे।

इण्टैक का कार्य

इण्टैक द्वारा देश की बिखरी विरासत को संरक्षित कराने व सँवारने में सरकार का सहयोग किया जाता है। ऐसे स्थलों तक पहुँचने के लिए यदि मार्ग नहीं है तो सरकार की विभिन्न निधियों से सड़क बनवाने, पर्यटक सुविधाओं का विकास कराने का सुझाव भी दिया जाता है।

इन्होंने कहा

'झाँसी के कण-कण में ऐतिहासिकता है। यहाँ अनेक ऐसे स्थल हैं, जिनका उचित रख-रखाव नहीं हो रहा है। ऐसे स्मारकों को संरक्षित कराने का प्रयास किया जाएगा। विदेशी सैलानियों को बुन्देलखण्ड में रोकने के लिए पुस्तक तैयार की जा रही है, जिसमें ऐतिहासिक स्थलों की सम्पूर्ण जानकारी हिन्दी व अंग्रे़जी भाषा में दर्ज की जाएगी। इसके साथ ही स्थान तक पहुँचने के लिए आवागमन की जानकारी भी दी जाएगी। भारत सरकार के माध्यम से यह पुस्तक विदेशों तक पहुँचाई जाएगी, ताकि पर्यटक टूर पैकेज में झाँसी को भी शामिल कर सकें।'

0 राजीव शर्मा, संयोजक (इण्टैक)

'पर्यटन भारत के 10 प्रमुख उद्योगों में से एक है। बुन्देलखण्ड में पर्यटन की अपार सम्भावनाएँ हैं। इसके लिए ऐतिहासिक इमारतों, लोक संस्कृति को सहेजने की आवश्यकता है। इतिहासविद्, पर्यटन विशेषज्ञों व पुरातत्व में रुचि रखने वालों को इण्टैक से जोड़कर ऐतिहासिक व पुरातात्विक धरोहर व लोक संस्कृति को संरक्षित करने का कार्य जल्द प्रारम्भ किया जाएगा।'

0 प्रदीप कुमार तिवारी, सदस्य (इण्टैक)

फाइल : राजेश शर्मा

26 फरवरी 2020

समय : 5.15 बजे

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