खत्म नहीं होगा ललितपुर में शताब्दी का ठहराव

0 सांसद ने मण्डल रेल प्रबन्धक से वार्ता कर स्पष्ट की स्थिति 0 डीआरएम ने कहा- रेलवे बोर्ड ने नहीं ल

By JagranEdited By: Publish:Thu, 27 Feb 2020 01:00 AM (IST) Updated:Thu, 27 Feb 2020 01:00 AM (IST)
खत्म नहीं होगा ललितपुर में शताब्दी का ठहराव
खत्म नहीं होगा ललितपुर में शताब्दी का ठहराव

0 सांसद ने मण्डल रेल प्रबन्धक से वार्ता कर स्पष्ट की स्थिति

0 डीआरएम ने कहा- रेलवे बोर्ड ने नहीं लिया कोई निर्णय

झाँसी : रेलवे की विशिष्ट ट्रेन में शामिल शताब्दी एक्सप्रेस के ललितपुर रेलवे स्टेशन पर ठहराव समाप्त करने की ख़्ाबरों को मण्डल रेल प्रबन्धक ने सिरे से खारिज कर दिया है। सांसद द्वारा सवाल उठाए जाने पर डीआरएम ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई प्रस्ताव रेलवे बोर्ड के समक्ष नहीं है।

नई दिल्ली से हबीबगंज (भोपाल) के बीच चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस को विशिष्ट ट्रेन का दर्जा प्राप्त है। इसकी गति अन्य ट्रेन से अधिक है तो यात्रियों को ढेरों सुविधाएँ भी परोसी जाती हैं, जिससे यात्रियों के बीच यह खासी लोकप्रिय है। यात्रियों की सुविधा के लिए नई दिल्ली से हबीबगंज के बीच ट्रेन को 7 स्टेशन पर ठहराव दिया गया है। हाल ही में ख़्ाबर उड़ी कि ललितपुर रेलवे स्टेशन पर शताब्दी एक्सप्रेस का ठहराव समाप्त करने का निर्णय रेलवे बोर्ड ने लिया है। यह ख़्ाबर आते ही ललितपुर में आक्रोश फैल गया और कई संगठनों ने आन्दोलन की तैयारी शुरू कर दी। झाँसी-ललितपुर क्षेत्र के सांसद अनुराग शर्मा ने भी रेलवे बोर्ड के इस ़फैसले पर गम्भीरता दिखाई और ट्विटर हैण्डिल पर शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने मण्डल रेल प्रबन्धक से वार्ता की तो स्थिति ही बदल गई। मण्डल रेल प्रबन्धक ने स्पष्ट कर दिया कि इस तरह का कोई प्रस्ताव रेलवे बोर्ड के पास नहीं है। उन्होंने ललितपुर में शताब्दी एक्सप्रेस का ठहराव जारी रहने का दावा किया।

इन स्टेशन पर रुकती है शताब्दी

नई दिल्ली से चलकर हबीबगंज तक जाने वाली शताब्दी एक्सप्रेस को रास्ते के 8 रेलवे स्टेशन पर ठहराव दिया गया है। यह ट्रेन दिल्ली से चलकर मथुरा, आगरा, धौलपुर, मुरैना, ग्वालियर, झाँसी, ललितपुर व भोपाल स्टेशन पर रूकती है। वापसी में भी इन्हीं स्टेशन पर शताब्दी को ठहराव दिया गया है।

मनरेगा श्रमिकों के काम का किया आकलन

0 हैदराबाद से आई टीम ने दो ब्लॉक में किया सर्वे

0 रिपोर्ट के बाद तय होंगे काम के मानक

झाँसी : बुन्देलखण्ड की पथरीली ़जमीन को खोदने में पसीना बहाने वाले मनरेगा श्रमिकों को थोड़ी राहत मिल सकती है। भारत सरकार के निर्देश पर हैदराबाद से आई 8 सदस्यीय टीम ने श्रमिकों द्वारा किए गए कार्य का आकलन किया। टीम की रिपोर्ट के बाद सरकार मानक में फेरबदल कर सकती है।

ग्रामीणों को गाँव में ही रो़जगार उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा योजना चलाई जाती है। इसके तहत श्रमिक को 182 रुपए प्रतिदिन की दर से मजदूरी दी जाती है। श्रमिकों के लिए काम के मापदण्ड भी तय किए गए हैं। चूंकि बुन्देलखण्ड की ़जमीन पथरीली और सख्त है, इसलिए यहाँ काम के मानक प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से अलग हैं। प्रदेशभर में मनरेगा मजदूरों को प्रतिदिन 80 घन फीट मिट्टी खोदनी पड़ती है, जबकि बुन्देलखण्ड 60 घनमीटर का मानक तय है। सरकार अब म़जदूरी बढ़ाने की तैयारी में है, इसके लिए मानकों को एक बार फिर कसौटी पर कसा जा रहा है। इसके लिए नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल डिवेलपमेण्ट, हैदराबाद की 8 सदस्यीय टीम झाँसी आई। टीम ने चिरगाँव व बंगरा ब्लॉक में 2-2 दिन बिताया। इस दौरान श्रमिकों से काम कराते हुए मेहनत का आकलन किया गया। इसकी रिपोर्ट भारत सरकार को दी जाएगी। माना जा रहा है कि रिपोर्ट के आधार पर सरकार द्वारा मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी व कार्य के मानक में परिवर्तन किया जा सकता है।

फाइल : राजेश शर्मा

26 फरवरी 2020

समय : 7.35 बजे

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