सर्वोत्तम होता है देशी गाय का गोबर : पालेकर

फोटो :: - ़जीरो बजट प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण के दूसरे दिन डीएम ने किसानों की जिज्ञासाओं को दूर किय

By JagranEdited By: Publish:Sun, 23 Sep 2018 01:01 AM (IST) Updated:Sun, 23 Sep 2018 01:01 AM (IST)
सर्वोत्तम होता है देशी गाय का गोबर : पालेकर
सर्वोत्तम होता है देशी गाय का गोबर : पालेकर

फोटो ::

- ़जीरो बजट प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण के दूसरे दिन डीएम ने किसानों की जिज्ञासाओं को दूर किया

- अभी तक 1000 से अधिक किसानों ने कराया पंजीकरण

झाँसी : बुन्देलखण्ड किसान समृद्धि अभियान ट्रस्ट के तत्वावधान में 21 से 26 सितम्बर तक चलने वाले ़जीरो बजट प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण शिविर के दूसरे दिन का शुभारम्भ चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय विधायक चित्रकूट, जवाहर सिंह राजपूत विधायक गरौठा व ़िजलाधिकारी शिवसहाय अवस्थी ने संयुक्त रुप से किया। आचार्य अविनाश ने प्रशिक्षण शिविर की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पौधों के पोषण के लिए आवश्यक 16 तत्व प्रकृति में उपलब्ध रहते हैं। उन्हें पौधों के भोजन के रुप में बदलने का कार्य मिट्टी में पाए जाने वाले करोड़ों सूक्ष्म जीवाणु करते हैं।

कार्यशाला के दूसरे दिन किसानों से सम्वाद करते हुए ़जीरो बजट खेती के जनक पद्मश्री सुभाष पालेकर ने बताया कि पौधों के पोषण की प्रकृति में चार चक्रिये व्यवस्थाएं हैं, जैसे खाद्य चक्र, केशाकर्षण शक्ति, चक्रवात, केचुएं की गतिविधियों से पौधा अपने पोषण के लिए मिट्टी के सभी तत्व लेता है। फसल पकने के बाद काष्ट पदार्थ (कूड़ा करकट) के रुप में मिट्टी में मिलकर अपघटित होकर मिट्टी को उर्वर शक्ति के रुप में लौटाता है। यह भी बताया की पेड़-पौधों की पत्तियां और टहनियां, जो भूमि में गिरती हैं और अपघटित होकर ह्यूमस बनाती हैं और एक ग्राम देशी गाय के गोबर में 300 करोड़ सूक्ष्म जीवाणु पाए जाते हैं। इसलिए देशी गोबर सर्वोत्तम होता है। जबकि भैंस के गोबर में न्यूनतम सूक्ष्म जीवाणु के होते हैं। अत: एक एकड़ भूमि के लिए देशी गाय का 10 किलो गोबर प्रतिमाह पर्याप्त होता है। इसमें अन्य खाद की आवश्यकता नहीं होती है। एक देशी गाय औसतन 11 किग्रा गोबर प्रतिदिन देती है, इस प्रकार एक देशी गाय से 30 एकड़ खेती की जा सकती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि फसल लेने के बाद काष्ट पदार्थो को जलाया न जाए। पालेकर जी ने ह्यूमस के निर्माण की विधि को किसान व युवाओं को अच्छी तरह से समझाया। ़िजलाधिकारी शिवसहाय अवस्थी ने कार्यशाला की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए किसानों की जिज्ञासाओं का समाधान किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन खेती के प्रति जागरुकता लाने के लिए काफी कारगर साबित होते हैं। उन्होंने आयोजक मण्डल को यह कार्यक्रम आयोजित कराने हेतु साधुवाद देते हुए बुन्देली माटी पर पहली बार आए पद्मश्री सुभाष पालेकर का स्वागत किया।

समारोह को बुन्देलखण्ड कार्यक्रम संयोजक चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय विधायक चित्रकूट, जवाहर सिंह राजपूत विधायक गरौठा, शिवशंकर ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट आदि वक्ताओं ने सम्बोधित किया। इस अवसर पर डॉ. एसआर गुप्ता, राजकुमार द्विवेदी, बृजेन्द्र तिवारी, प्रदीप शरण अग्रवाल, अवधेश प्रताप सिंह, संजय दुबे, एसएस सिंह, सुरेश अग्रवाल, हृदेश गोस्वामी, रविन्द्र कौरव, मोहनपाल, शशांक त्रिपाठी, रघुवीर वर्मा, आरपी गुप्ता, अनूप सेंगर, अशोक अग्रवाल आदि उपस्थित रहे। राष्ट्रीय समन्वयक गोपाल उपाध्याय ने संचालन व सह-समन्वयक कैलाश अग्रवाल ने आभार व्यक्त किया।

बॉक्स ::

कृषि ऋषि ने पोटाश और फॉस्फेट की ़जरुरत पर प्रकाश डाला

पद्मश्री सुभाष पालेकर ने कृषि में फॉस्फेट और पोटाश की जरुरत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दोनों पोषक तत्व बिना बाहर से डाले स्वत: ही गाय के गोबर और मूत्र से पौधों को मिल सकते हैं। प्राकृतिक कृषि के जन आन्दोलन के प्रणेता श्री पालेकर ने बताया कि यदि खेती डीएपी और पोटाश को अलग से डालने से होती तो अब तक सभी जंगल सूख चुके होते क्योंकि बिना डीएपी और पोटाश डाले ही जंगल हरे-भरे रहते हैं। उन्होंने बताया कि यह सभी तत्व प्रकृति में मौजूद रहते हैं। बस उन्हें जाग्रत करने की आवश्यकता है। गाय के गोबर और गौमूत्र से बने जीवामृत और घनजीवमृत से यह सम्भव है।

नरेन्द्र प्रताप सिंह

समय : 6.40

22 सितम्बर 18

chat bot
आपका साथी