पितृदोष से मुक्ति प्रदान करती है त्रिपिडी श्राद्ध

तीन पीढि़यों में बाल्यावस्था युवावस्था या वृद्धावस्था में किसी की अकाल असामयिक अथवा दुर्घटना से मृत्यु हुई हो तो आत्मा की शांति के लिए त्रिपिडी श्राद्ध किया जाता है। ज्योतिष व तंत्र आचार्य डा. शैलेश मोदनवाल ने बताया कि कोई भी आत्मा जो अपने जीवन में शांत नहीं है और शरीर छोड़ चुकी है भविष्य की पीढि़यों को परेशान करती है। ऐसी आत्मा को त्रिपिडी श्राद्ध की सहायता से मोक्ष की प्राप्ति कराई जाती है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 06:04 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 06:04 PM (IST)
पितृदोष से मुक्ति प्रदान करती है त्रिपिडी श्राद्ध
पितृदोष से मुक्ति प्रदान करती है त्रिपिडी श्राद्ध

जागरण संवाददाता, मछलीशहर (जौनपुर) : तीन पीढि़यों में बाल्यावस्था, युवावस्था या वृद्धावस्था में किसी की अकाल, असामयिक अथवा दुर्घटना से मृत्यु हुई हो तो आत्मा की शांति के लिए त्रिपिडी श्राद्ध किया जाता है। ज्योतिष व तंत्र आचार्य डा. शैलेश मोदनवाल ने बताया कि कोई भी आत्मा जो अपने जीवन में शांत नहीं है और शरीर छोड़ चुकी है, भविष्य की पीढि़यों को परेशान करती है। ऐसी आत्मा को त्रिपिडी श्राद्ध की सहायता से मोक्ष की प्राप्ति कराई जाती है। तमोगुणी, रजोगुणी तथा सतोगुणी यह तीन प्रेत योनियां हैं। पिशाच तमोगुणी होते हैं।

अंतरिक्ष में रजोगुणी व वायुमंडल में सतोगुणी पिशाच होते हैं। इन तीनों प्रकार की प्रेत योनियों की पीड़ा को मिटाने के लिए पितृपक्ष में त्रिपिडी श्राद्ध आवश्यक है। घर में बीमारी का प्रकोप, संतान न होना, व्यवसाय में हानि, गृह कलेश, मानसिक अवसाद, हर कार्यों में विघ्न व ऊपरी बाधा पितृदोष का कारण है। पितृदोष से बचने के लिए त्रिपिडी श्राद्ध कराना आवश्यक है। आपकी कुंडली में ग्रहों की चाहे जितने भी अच्छी स्थिति हो लेकिन यदि पितृदोष है तो जीवन में तमाम प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

त्रिपिडी श्राद्ध को काम्य श्राद्ध कहा जाता है। त्रिपिडी श्राद्ध अनुष्ठान में भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान रूद्र (शिव) की भक्ति पूर्वक पूजा की जाती है। प्रत्येक माह की अमावस्या को इसकी पूजा की जा सकती है, लेकिन पितृपक्ष इसके लिए सबसे बेहतर समय है।

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