जनपद की सीमा तक पहुंचा विषधर रसेल वाइपर

जागरण संवाददाता नौपेड़वां (जौनपुर) भारत की चार प्रमुख विषैले सांपों की चौकड़ी में से एक

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 07:08 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 07:08 PM (IST)
जनपद की सीमा तक पहुंचा विषधर रसेल वाइपर
जनपद की सीमा तक पहुंचा विषधर रसेल वाइपर

जागरण संवाददाता, नौपेड़वां (जौनपुर): भारत की चार प्रमुख विषैले सांपों की चौकड़ी में से एक रसेल वाइपर अब जौनपुर के सीमावर्ती आंबेडकर नगर फैजाबाद जिले तक आ पहुंचा है। इस विषैले सर्प से अब तक प्रदेश अछूता रहा है। हालांकि अभी तक दोनों जनपदों में इसके मिलने का कोई इतिहास नहीं है।

सांपों को रिस्क्यू करके उन्हें उनके कुदरती परिवेश में छोड़ कर इनकी वंश रक्षा में जुटे नौपेड़वा बाजार निवासी मुरारी यादव को बीते सप्ताह आंबेडकरनगर जिला में सर्प मिलने की सूचना मिली तो वहां से पकड़कर एक मादा रसेल वाइपर और उसके दो दर्जन से अधिक बच्चों को ले आए। मुरारी यादव ने बताया कि ग्रामीण इस विषधर सर्प से अनभिज्ञ दिखे। इन सांपों को सुरक्षित स्थान पर छोड़ने की योजना बनाई जा रही है। रसेल वाइपर के दिखने की खबरें अब अयोध्या व सुल्तानपुर से भी आने लगी हैं। सर्प विशेषज्ञ व विज्ञान प्रचारक डाक्टर अरविद मिश्र के अनुसार सांपों की बदनाम चौकड़ी (बिग फोर) में आती है। यह कोबरा, करैत, रसेल वाइपर और स्केल्ड वाइपर। इनमें जौनपुर और आस-पास के जिलों में अक्सर कोबरा और करैत ही मिलते हैं। जिनका जहर न्यूरोटाक्सिक होता है। यानि इससे स्नायुतंत्र प्रभावित होता है, जिससे श्वसन तंत्र काम करना बंद कर देता है और मृत्यु हो जाती है। दूसरे दो सांप रसेल वाइपर और सा स्केल्ड वाइपर ज्यादातर महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ व झारखंड में बहुतायत मिलता है। सोनभद्र के बभनी ब्लाक में रसेल वाइपर मिल चुका है। यह एक मात्र सर्प है जो अंडा देने की बजाय बच्चा देता है। बताया कि एक बार में मादा 60 से 65 बच्चे देती है। बताया कि इसके विषदंत (फैंग्स) अन्य विषैले सांपों की तुलना में काफी बड़े होते हैं। इसका जहर हीमोटाक्सिक होता है। यह खून के थक्के बनाता है। जिससे इसके दंश से पीड़ित की मौत हो जाती है, कितु राहत की बात यह है कि इसके जहर पर भी पालीवैलेंट एंटी वेनम इंजेक्शन पूरी तरह कारगर है। जो सरकारी अस्पतालों और बड़े मेडिकल स्टोरों में उपलब्ध है। बताया कि रसेल वाइपर ही एक मात्र सर्प है जो अंडे देने की बजाय सीधे बड़ी संख्या में बच्चे देते हैं।

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