सरकारी स्कूलों की साज-सज्जा से बदल रही सोच
परिषदीय स्कूलों की साज-सज्जा व संसाधनों ने अभिभावकों की सोच बदल दी ह
जागरण संवाददाता, जौनपुर: परिषदीय स्कूलों की साज-सज्जा व संसाधनों ने अभिभावकों की सोच बदल दी है। योग्य शिक्षकों की तैनाती, कर्तव्य के प्रति उनके बढ़ रहे समर्पण के लोगों में विश्वास बढ़ा है। शिक्षा के साथ ही पाठ्यसहगामी क्रियाओं पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसका परिणाम है कि यह विद्यालय जहां कान्वेंट को टक्कर दे रहे हैं वहीं वैश्विक महामारी काल में छात्रों की संख्या घटने की बजाय 31 हजार बढ़ गई है।
अभी तक परिषदीय स्कूलों में कोरमपूर्ति व लापरवाही की हदें पार करती देखी गईं, लेकिन वर्तमान में अधिकांश सरकारी स्कूल ऐसे भी हैं जो प्राइवेट स्कूलों को भी मात दे रहे हैं। गांव के कुछ संभ्रांत लोग और शिक्षकों की मेहनत से ऐसे विद्यालय इन दिनों सुर्खियों में हैं। पिछड़े इलाके में बने इस हाईटेक स्कूल में हर आधुनिक सुविधा मौजूद है। यहां कंप्यूटर से लेकर प्रोजेक्टर तक से पढ़ाई होती है। कायाकल्प योजना के तहत जहां विद्यालयों को 19 पैरामीटर पर संतृप्त कर संसाधनों से लैस किया जा रहा है वहीं इन विद्यालयों को खास बनाने के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से लेकर शिक्षकों ने दिन-रात एक कर दिया। लगन और विश्वास के बल पर आज यह विद्यालय प्राइवेट स्कूलों से न सिर्फ टक्कर दे रहे हैं, बल्कि बच्चों को भी बेहतर तालीम मुहैया करा रहे हैं। परिषदीय स्कूलों में छात्र संख्या का आंकड़ा.
वर्ष- छात्र संख्या
2018-19 - 382615
2019-20 - 385483
2020-21 -408226
2021-22 - 413729
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बोले अधिकारी
---- प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में सुधार सरकार की प्राथमिकता में है। इसके लिए कायाकल्प योजना के तहत विद्यालयों को संसाधनों से लैस किया जा रहा है वहीं छात्रों के बौद्धिक स्तर में सुधार का प्रयास किया जा रहा है। पाठ्यसहगामी क्रियाओं पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विद्यालयों में अधिक से अधिक नामांकन, छात्रों की शत-प्रतिशत उपस्थिति और गुणवत्तायुक्त शिक्षा के कारण अभिभावकों का परिषदीय स्कूलों के प्रति विश्वास बढ़ा है।
-डा. गोरखनाथ पटेल, बीएसए।