जिले को क्षय रोग मुक्त बनाने में प्रधानों का ले रहे सहयोग
स्वास्थ्य विभाग जनपद को क्षय रोग मुक्त बनाने में नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों क
जागरण संवाददाता, जौनपुर: स्वास्थ्य विभाग जनपद को क्षय रोग मुक्त बनाने में नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों का भी सहयोग ले रहा है। इसके लिए जिले के 15 ब्लाकों में ग्राम प्रधानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है, जबकि पांच ब्लाक में प्रशिक्षण चल रहा है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राकेश सिंह ने बताया कि एक समय ऐसा था जब घर का कोई सदस्य क्षय रोग से पीड़ित होता था तो परिवार वाले उसकी घर से दूर रहने की व्यवस्था करा देते थे। माइक्रोबैक्टीरिया ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया से होने वाली इस बीमारी से मौतों का आंकड़ा अन्य बीमारियों से कहीं अधिक था। अब समय बदल चुका है, हम देश की आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। अब स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से बेहतर हो चुकी हैं इसलिए घबराने की नहीं, बल्कि सही समय पर पूरा इलाज कराने की जरूरत है ।
क्षय उन्मूलन अभियान के जिला कार्यक्रम समन्वयक सलिल यादव ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय टीबी के उपचार व उन्मूलन पर तेजी से काम कर रहा है। समय रहते संक्रमण का पता चल जाए और उपचार में लापरवाही न बरती जाए तो हड्डी, लीवर, किडनी, आंत, स्पाइन, ब्रेन आदि किसी भी अंग के टीबी का इलाज हो सकता है। इस समय संक्रमित लोगों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में पंजीकृत करके निश्शुल्क जांच व पूर्ण उपचार की सुविधा देने के साथ सरकार निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान हर माह 500 रुपये बैंक खाते में दिए जाते हैं। पहले इसकी जांच में समय लगता था, लेकिन अब स्वदेशी ट्रू नाट मशीन के आ जाने से थोड़े समय में ही संक्रमण की जानकारी मिल जा रही है। सरकार की ओर से इसे नियंत्रित करने के लिए नेशनल ट्यूबरक्लोसिस इलीमिनेशन प्रोग्राम जैसी योजनाएं बड़े पैमाने पर चलाईं जा रही हैं। टीबी की रोकथाम के लिए सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से टीबी उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है। वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री ने टीबी मुक्त भारत अभियान का शुभारंभ किया था, जिसमें वर्ष 2025 तक टीबी के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया था। इसका उद्देश्य भारत को टीबी मुक्त करना है।