मत्स्य बीज उत्पादन का लक्ष्य 35 लाख , व्यवस्था शून्य

जागरण संवाददाता खेतासराय (जौनपुर) गूजर ताल स्थित मत्स्य परिक्षेत्र से 35 लाख मत्स्य बीज उत्पादन क

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 04:34 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 04:34 PM (IST)
मत्स्य बीज उत्पादन का लक्ष्य 35 लाख , व्यवस्था शून्य
मत्स्य बीज उत्पादन का लक्ष्य 35 लाख , व्यवस्था शून्य

जागरण संवाददाता, खेतासराय (जौनपुर): गूजर ताल स्थित मत्स्य परिक्षेत्र से 35 लाख मत्स्य बीज उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, लेकिन बजट के अभाव में व्यवस्था शून्य है। ऐसे में इस बार यहां से मत्स्य बीज का उत्पादन नहीं हो सकेगा। परिक्षेत्र की स्थिति में सुधार न होने के कारण इस साल भी 1.40 करोड़ स्पान दूसरे जनपदों से मंगाना होगा।

जिला मुख्यालय से 28 किमी दूर खेतासराय बाजार के पश्चिम स्थित गूजर ताल का निर्माण 1964-65 में एक लाख अस्सी हजार रुपये की लागत से हुआ था। दो दशक पूर्व तक सूबे के सबसे बड़े मत्स्य बीज उत्पादन केंद्रों के रूप में इसकी पहचान थी। यहां मत्स्य क्षेत्र 21 हेक्टेयर में बना हुआ है। जिसमें 60 नर्सरी तालाब भी शामिल है। वहीं हैचरी का निर्माण 1992 में हुआ। यहां से पूर्वांचल के जनपदों में मत्स्य बीज की आपूर्ति होने से लाखों रुपये आय होती थी। अनदेखी के कारण वर्ष 2007 में घाटा दिखाकर इसे बंद कर दिया गया। स्पान के लिए रखे गए ब्रूडर बेच दिए गए। अब बाहर से स्पान खरीदकर लाया जाता है। इतना ही नहीं पहले 20 फिशरमैन सहित दो दर्जन से अधिक कर्मचारी रहते थे। अब मात्र एक प्रभारी व दो फिशरमैन की तैनाती है। तालाबों के मरम्मत, साफ-सफाई आदि के लिए एक रुपया भी बजट नहीं है।

मछलीपालन से तौबा कर रहे लोग

कृषि प्रधान देश में खेती के साथ पशुपालन व मछलीपालन भी किसानों के आमदनी का प्रमुख स्त्रोत था, लेकिन गत कई वर्षों से प्रकृति की मार और सरकार की बेरुखी के चलते मछलीपालन का दायरा हर साल तेजी से कम होता जा रहा है। तीन दशक पूर्व जिले में लगभग एक हजार एकड़ में मछलीपालन किया जाता रहा। वर्तमान में 150-175 एकड़ तक ही पालन सिमटकर गया है। अच्छी बारिश के कारण नदियों व नालों में भी मछलियां बड़ी संख्या में स्वत: पलती-बढ़ती थीं। यह मछुआरों की आजीविका का प्रमुख स्त्रोत थी, लेकिन अब यह व्यवसाय इतिहास बनता जा रहा है। बोले जिम्मेदार..

35 लाख मत्स्य बीज उत्पादन का लक्ष्य है, लेकिन बजट नहीं मिला है। इसके लिए एक करोड़ चालीस लाख स्पान आजमगढ़, गोसाईगंज, केराकत से मंगाने की तैयारी है। बीज वितरण के लिए नौ तालाबों की साफ-सफाई की गई है। मत्स्य पालकों को जून माह के अंत में मत्स्य बीज मिलने लगेगा। पालन के लिए तीन हजार अनुदान की भी व्यवस्था है।

-केशव प्रसाद, प्रभारी गूजर ताल।

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