..तो किशोरियों के साथ न जाने क्या होता
वाकई जिले की पुलिस ने शाबासी का काम किया है वरना आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली खुटहन थाना क्षेत्र की तीन किशोरियों के साथ कुछ भी हो सकता था। फिल्मों व टीवी धारावाहिकों ने तीनों सहेलियों के दिल-ओ-दिमाग पर ऐसा असर डाला था कि घर से निकलीं स्कूल के लिए और पकड़ लिया मुंबई का रास्ता।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: वाकई जिले की पुलिस ने शाबासी का काम किया है, वरना आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली खुटहन थाना क्षेत्र की तीन किशोरियों के साथ कुछ भी हो सकता था। फिल्मों व टीवी धारावाहिकों ने तीनों सहेलियों के दिल-ओ-दिमाग पर ऐसा असर डाला था कि घर से निकलीं स्कूल के लिए और पकड़ लिया मुंबई का रास्ता। 24 घंटे के भीतर बेटियों के सुरक्षित मिल जाने पर स्वजन एसपी राज करन नय्यर व खुटहन पुलिस की तत्परता का बखान करते नहीं अघा रहे हैं। सपने पूरा करने स्वेच्छा से जा रही थीं मुंबई
एसपी ने पुलिस लाइन में प्रेसवार्ता में कहा कि पूछताछ में किशोरियों ने बताया उनकी नृत्य, अभिनय व गायन में रूचि है। वह स्वेच्छा से अपने सपने साकार करने के लिए मुंबई जा रही थीं। अभिभावक उन पर पढ़ने के लिए दबाव बना रहे थे। ऐसे में उन्हें लग रहा था कि घर रहकर अपने सपने पूरे नहीं कर सकतीं। बयान दर्ज करने व मेडिकल मुआयना कराने के बाद किशोरियों को स्वजनों को सौंप दिया गया।
खुटहन पुलिस व सर्विलांस टीम को दस हजार का पुरस्कार
एसपी ने तीनों किशोरियों को दस घंटे के भीतर सुरक्षित खोज निकालने के लिए खुटहन पुलिस व क्राइम ब्रांच की सर्विलांस टीम को शाबासी देते हुए दस हजार रुपये का नकद पुरस्कार देने की घोषणा की।
एसपी की अभिभावकों को सलाह
आज के दौर में बच्चों को तकनीकी उपकरण दें तो नजर भी रखें कि बच्चा उसका कैसा प्रयोग कर रहा है। बराबर बच्चों के संपर्क में रहें। यह समझने की कोशिश करें कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है। एसपी की बच्चों को नसीहत
इंटरनेट मीडिया का प्रयोग करते समय सतर्क रहें। इससे संपर्क में आने पर यदि कोई कहीं बुलाए तो अभिभावक को जरूर बताएं।