तीन करोड़ के बजट से सेवई नाले को मिलेगा नया स्वरूप
खुटहन विकास खंड के सोलह गांवों में होते हुए लगभग 18 किमी चलकर पिलकिछा गांव के गोमती सेवईं संगम स्थल पर समाहित होने वाले सेवईं नाले को जल्द ही नया स्वरूप मिलने वाला है। इसको लेकर नहर विभाग ने एनओसी जारी कर दिया है। अब मनरेगा से इसका जीर्णोद्धार कराया जाएगा। इस पर तकरीबन तीन करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इस योजना को अमलीजामा पहनाने की शुरुआत पिछले वर्ष की गई थी जिसे कोरोना संक्रमण के बढ़े मामलों की वजह से रोक दिया गया था।
जागरण संवाददाता, खुटहन (जौनपुर) : खुटहन विकास खंड के सोलह गांवों में होते हुए लगभग 18 किमी चलकर पिलकिछा गांव के गोमती सेवईं संगम स्थल पर समाहित होने वाले सेवईं नाले को जल्द ही नया स्वरूप मिलने वाला है। इसको लेकर नहर विभाग ने एनओसी जारी कर दिया है। अब मनरेगा से इसका जीर्णोद्धार कराया जाएगा। इस पर तकरीबन तीन करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इस योजना को अमलीजामा पहनाने की शुरुआत पिछले वर्ष की गई थी, जिसे कोरोना संक्रमण के बढ़े मामलों की वजह से रोक दिया गया था।
वर्ष 1970 के पूर्व सेवईं नाले का पानी कभी सूखता नहीं था। इसका पानी हमेशा साफ और स्वच्छ बना रहता था। पहले लोग पशुओं को नहलाने के साथ-साथ पीने के लिए भी इस पानी का उपयोग करते थे, लेकिन जबसे इसे दो खंडो में विभाजित किया गया तब से गर्मी के दिनों में सूखने लगी है। नाले के तट पर कई धार्मिक स्थल
खुटहन सेवईं नाले के तट पर अलग-अलग गांवों में चार प्राचीन मंदिर बने हैं। जहां नियमित रूप से लोग पूजा-पाठ व अन्य धार्मिक कार्यक्रम करते रहते हैं। धिरौली नानकार गांव का बान्हदैत्य मंदिर, रसूलपुर गांव में शिवालय, अशरफगढ़ गांव में वास्तुकला की भव्य सुंदरता के बीच शिव मंदिर तथा धार्मिक स्थल पिलकिछा में भगवान राम, लक्ष्मण, जानकी तथा हनुमान मंदिर स्थित है। इतने गांव हैं लाभान्वित
खुटहन सेवईं नाले से विकास खंड के 16 गांव लाभान्वित हैं। इससे जहां पाताल में समा रहे जलस्तर को सुधारने में मदद मिलेगी वहीं किसानों को भी सुविधा होगी। उसरौली, उदयीपुर दीपी, डिहिया, पिलकिछा, पटैला, बनहरा, भटपुरा, असरफगढ़, शेरपुर, ख्वाजापुर, रसूलपुर, ओइना, कपसिया, सौरइया पट्टी, कपसिया, धिरौलीनानकार और घुघुरी सुल्तानपुर समेत अन्य गांव इससे लाभान्वित होंगे।
------------------------ बरसात के दिनों यह नाला पूरे उफान पर होता है। इसका पाट प्रत्येक वर्ष बढ़ता ही जा रहा है। इसमें तटवर्ती किसानों की कृषि योग्य भूमि भी समाहित होती जा रही है, जिसे रोकने के लिए इसकी खोदाई, पुलिया, चेकडैम, दीवार आदि बनाए जाने की तैयारी की है। नहर विभाग से इसके लिए एनओसी मिल गई है। इस पर तकरीबन तीन करोड़ रुपये खर्च होंगे।
- गौरवेंद्र सिंह, बीडीओ, खुटहन।