कोरोना काल में रामबाण है मनोचिकित्सकीय 'पंचामृत'

वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर से चौतरफा भय आशंका असुरक्षा एवं उहापोह का माहौल है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 04:49 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 04:49 PM (IST)
कोरोना काल में रामबाण है मनोचिकित्सकीय 'पंचामृत'
कोरोना काल में रामबाण है मनोचिकित्सकीय 'पंचामृत'

जागरण संवाददाता, जौनपुर: वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर से चौतरफा भय, आशंका, असुरक्षा एवं उहापोह का माहौल है। लाखों लोग जान गंवा चुके हैं और अभी भी महामारी का तांडव जारी है। कोविड रोगियों की बढ़ती संख्या, संसाधनों का अकाल, ऊपर से कालाबाजारी व जमाखोरी बेकाबू है। वर्तमान परिस्थिति में मनोचिकित्सकीय पंचामृत रामबाण साबित होगा। सुखद भावनाओं और सकारात्मक विचार से प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं। यह कहना है बीएचयू के अवकाश प्राप्त वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर आरएन सिंह का।

बताया कि कोरोना संक्रमण होने पर शुरू में बुखार, सूखी खांसी एवं थकान के लक्षण आते हैं। ऐसे में तुरंत जांच करानी चाहिए, ताकि स्थिति बिगड़ने न पाए। इसके अतिरिक्त शरीर में दर्द, सिर दर्द, गले में खरास, दस्त, स्वाद एवं गंध का न होना, त्वचा या अंगुलियों के रंग में परिवर्तन संक्रमण की गंभीरता दर्शाते हैं। ऐसे में चिकित्सक से सलाह जरूरी है। इसके साथ ही जिस प्रकार पूजा में प्रयुक्त पंचामृत के बारे में मान्यता है कि उससे मन को शांति मिलती है, ऊर्जा का संचार होता है, आत्मबल बढ़ता है। उसी प्रकार कुछ हार्मोंस जिन्हें मनोविज्ञान की भाषा में पंचामृत कहा जाता है हमारी प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते हैं। मन में खुशी का भाव पैदा करते हैं और स्वास्थ्य के संकट को कम करते हैं। बताया कि डोपामाइन हार्मोन सुखद एवं प्रेरक भाव उत्पन्न करता है तो सेरोटोनिन हार्मोन अच्छी मनोदशा निश्चित करता है। आक्सीटोसिन हार्मोन विश्वास को बढ़ाता और एंडाफऱ्नि पीड़ा से मुक्ति में सहायक है। ए हार्मोन्स अंत:स्त्रावी ग्रंथियों को उत्पन्न करते हैं। बताया कि आप के आस-पास अच्छा परिवेश हो और आप की उचित व्यवहार शैली सुखद भावनाएं एवं सकारात्मक विचार उत्पन्न करते हैं, जो रोगों से लड़ने की क्षमता में इजाफा करते हैं। इसके साथ ही व्यायाम से प्रतिरोधी क्षमता मजबूत होती है।

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