तेज आंधी के साथ हुई बारिश, भींगी गेहूं की फसल

जागरण संवाददाता, जौनपुर: मौसम का मिजाज बुधवार को अचानक फिर बिगड़ गया। सुबह से आसमान में

By JagranEdited By: Publish:Wed, 11 Apr 2018 06:22 PM (IST) Updated:Wed, 11 Apr 2018 06:22 PM (IST)
तेज आंधी के साथ हुई बारिश, भींगी गेहूं की फसल
तेज आंधी के साथ हुई बारिश, भींगी गेहूं की फसल

जागरण संवाददाता, जौनपुर: मौसम का मिजाज बुधवार को अचानक फिर बिगड़ गया। सुबह से आसमान में बादल छाए रहे। दोपहर को तेज हवा के झोकों के साथ कई स्थानों पर बूंदाबादी तो कहीं बारिश हुई। खेत में काटकर छोड़ी गई और खलिहान में रखी गेहूं की फसल फिर भींग गई। मौसम में आए दिन आ रहे बदलाव के कारण किसानों की नींद उड़ गई है।

नगर समेत आस-पास के इलाकों में तेज आंधी-तूफान के साथ बूंदाबादी हुई। हवा के झोकों से कई छप्पर, टिनशेड उड़ गई और जगह-जगह पेड़ की डालियों के गिरने से तार टूट गए जिससे विद्युत आपूर्ति ठप हो गई है। एक सप्ताह के भीतर दूसरी बार बिगड़े मौसम के मिजाज के चलते फसलों को नुकसान को लेकर किसान ¨चतित हैं।

सरपतहां क्षेत्र में एक सप्ताह के अंदर रह-रहकर कर आ रही आंधी तूफान व बेमौसम बारिश ने बिजली विभाग की सेहत बिगाड़ दी है। इस बीच जहां आपूर्ति व्यवस्था पूरी तरह लड़खड़ा गई है वहीं उपभोक्ता भी बिजली की किल्लत से हलकान हैं। हालात यह है कि तूफान गुजरने के बाद विभाग जब तक गिरे हुए खंभे व तारों को ठीक करता है तब तक अचानक फिर से आई आंधी उसे पहले वाली स्थिति में पहुंचा दे रही है।

इधर उपभोक्ता लगातार कई दिनों से बिजली न मिलने से परेशान हैं। इस बाबत जब विभागीय अधिकारियों से शिकायत की जाती है तो जल्द ही आपूर्ति व्यवस्था बहाल होने का रटा-रटाया आश्वासन मिल जाता है। बहरहाल जब तक आंधी-पानी या फिर मौसम ठीक नहीं होता तब तक सुचारु रूप से आपूर्ति बहाल हो पाना असंभव दिखाई पड़ रहा है। एसडीओ दीपक जायसवाल कहते हैं कि जब तक मौसम का मिजाज नहीं ठीक होता आपूर्ति व्यवस्था सुचारु रुप से बहाल हो पाना टेढ़ी खीर है। बहरहाल विभाग अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर रहा है कि लोगों को बिजली मिले।

खुटहन क्षेत्र में दोपहर आसमान में छाये घने बादल व तेज हवा के झोंको को देख देश का अन्नदाता अपनी कमाई गयी फसल को लेकर मायूस हो गया है। आये दिन आंधी तूफान के थपेड़े को झेल रहा किसान अपनी पक कर तैयार फसलों के दाने को घर के अंदर तक पहुंचाने के लिए दिन रात एक किए हुए है। लेकिन प्रकृति का बिगड़ा स्वरूप उन्हें अपने मकसद में मानों कामयाब ही नहीं होने देना चाह रहा है। जिसको लेकर उनके चेहरों पर चिन्ता की लकीरे साफ दिखाई दे रही।

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