रक्षा कवच है हैलमेट, क्वालिटी से न करें समझौता

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By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Nov 2018 09:47 PM (IST) Updated:Tue, 13 Nov 2018 09:47 PM (IST)
रक्षा कवच है हैलमेट, क्वालिटी से न करें समझौता
रक्षा कवच है हैलमेट, क्वालिटी से न करें समझौता

जागरण संवाददाता, जौनपुर: हेलमेट दुर्घटना में रक्षा कवच की भूमिका निभाते हैं, बशर्ते यह अच्छी किस्म के हों। आमतौर पर दुपहिया वाहनों को खरीदने भारी भरकम बजट खर्च करने वाले लोग हेलमेट खरीदने में कंजूसी करते हैं। दोयम दर्जे का हेलमेट दुर्घटना के समय टूट जाता है, जिससे जान जाने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। अक्सर लोग आईएसआई मार्का हेलमेट खरीदने में लापरवाही बरतते हैं, जबकि यह एक भरोसे का प्रतीक है। वाहन चलाते वक्त हेलमेट ने कई लोगों की जान बचाई है। ऐसे में वाहन चलाते वक्त हेलमेट व सीटबेल्ट से परहेज करने की बजाय इसे जीवन में शामिल करने की जरूरत है।

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नकली हेलमेट पहनना होता है खतरनाक भारत में तरकीबन 29 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं दुपहिया चालकों के साथ होती हैं। इनमें 31.5 फीसदी मामलों में चालान व पीछे बैठी सवारी की मौत का मुख्य कारण हेलमेट न पहनने के कारण होता है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2015 में बाइक से जुड़ी 1,44,391 दुर्घटनाओं में 36,802 लोगों की मौत हो गई, जबकि 1,35,343 लोग घायल हो गए। जिले में बीते चार वर्षों के दौरान हाईवे व अन्य मार्गों में हुए हादसों में 2800 लोग घायल हो गए, जबकि 1294 ने दम तोड़ दिया। बीते वर्ष नेशनल, स्टेट व अन्य मार्गों पर हुए हादसों में तकरीबन 500 मुसाफिरों की जान चली गई। इनमे अधिकतर वाहन चालकों ने हैलमेट नहीं पहन रखा था।

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सिर ही नहीं रीढ़ की हडडी की भी सुरक्षा हेलमेट पहनने से दुर्घटना के समय सिर ही नहीं रीढ़ की हड्डी की भी सुरक्षा होती है। साथ ही इससे आंखें भी महफूज रहती हैं। जानकारों का कहना है कि हेलमेट पहनने से सर्वाइकल स्पाइन इंजरी होने का खतरा कम हो जाता है। अगर हेलमेट पहन रखा है और दुर्घटना घट गई, तो रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर होने की संभावना कम हो जाती है।

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कुछ सावधानी है जरूरी हेलमेट पहनते समय कुछ सावधानियां जरूरी है। अगर इसका आकार सिर से बड़ा है, तो इसे बदल दें। हेलमेट अगर ढीला होगा, तो दुर्घटना के समय यह सिर से निकल सकता है और सिर में गंभीर चोट आ सकती है। तमाम लोग हेलमेट पहनने के बाद पट्टी नहीं लगाते, जो गलत है। हेलमेट को समय-समय पर धोया भी जा सकता है।

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हैलमेट ने बचाई इनकी जान

दस वर्ष पूर्व भीषण हादसे का शिकार हुए अतुल यादव हेलमेट की वजह से बच गए थे। केराकात बाजार जाने के दौरान शाहबुद्दीनपुर गांव के पास उनकी बाइक सफारी के धक्के से क्षतिग्रस्त हो गई। वह बाइक से काफी दूर जाकर गिरे। इस घटना को याद करते ही अतुल सिहर उठते हैं। उन्होंने कहा कि दुर्घटना के बाद हेलमेट पूरी तरह टूट चुका था। ऐसे में यदि हेलमेट नहीं पहना होता तो शायद आज वह जीवित नहीं होते। वह अन्य लोगों को भी हेलमेट पहनने के लिए प्रेरित करते हैं।

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हेलमेट ने दिया नया जीवन

मुंगराबादशाहपुर निवासी नवीन विश्वकर्मा को हेलमेट ने नया जीवन दिया है। उन्होंने बताया कि छह माह पहले वह अपने किसी दोस्त के साथ बाजार जा रहे थे। घर से थोड़ी दूर निकलने पर एक ऑटो चालक ने उन्हें धक्का मार दिया। इससे उनके हाथ व पैर गंभीर चोट आई। पीछे बैठा दोस्त भी गंभीर रूप से घायल हो गया, लेकिन हैलमेट ने नवीन की जान बचा ली। नया जीवन पाकर नीवन सभी को हैलमेट पहनकर ही बाइक चलाने की नसीहत देते हैं।

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महज चालान से बचने के लिए नहीं, बल्कि जीवन जीने के लिए हैलमेट पहनना बेहद जरूरी है। दुर्घटना के दौरान हेलमेट व सीटबेल्ट संजीवनी का कार्य करते हैं। समय-समय पर अभियान चलाकर हेलमेट पहनने को लेकर वाहन चालकों को जागरूक किया जाता है। अभिभावकों को भी युवाओं को हेलमेट बिना बाइक नहीं चलाने की सीख देनी चाहिए।

विजय प्रताप ¨सह, टीएसआइ

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