दूसरी लहर में अस्पतालों में जगह पाने को दर-दर भटकते रहे मरीज
कोरोना महामारी की पहली व दूसरी लहर में सामने आई चुनौतियों ने स्वास्थ्य सेवाओं को झकझोर कर रख दिया। अस्पतालों में जगह पाने को मरीज दर-दर भटकते रहे। आक्सीजन व वेंटीलेटर के अभाव में उपचार की व्यवस्थाएं चरमरा गई थीं। तीसरी लहर में समस्याओं की पुनरावृत्ति न हो इसलिए मुकम्मल इंतजाम किए जा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, जौनपुर : कोरोना महामारी की पहली व दूसरी लहर में सामने आई चुनौतियों ने स्वास्थ्य सेवाओं को झकझोर कर रख दिया। अस्पतालों में जगह पाने को मरीज दर-दर भटकते रहे। आक्सीजन व वेंटीलेटर के अभाव में उपचार की व्यवस्थाएं चरमरा गई थीं। तीसरी लहर में समस्याओं की पुनरावृत्ति न हो इसलिए मुकम्मल इंतजाम किए जा रहे हैं।
गत अप्रैल में जब एक दिन में सैकड़ों नए मरीज सामने आने लगे तब हालात और भयावह होने लगे थे। कोरोना की दोनों लहर से सबक लेकर संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए सरकारी व निजी अस्पतालों में तैयारियां की जा रही हैं। बच्चों पर संभावित खतरे को देखते हुए उनके लिए अलग से इंतजाम किए जा रहे हैं, ताकि वे माता-पिता व स्वजन के साथ अस्पताल में रहकर उपचार करवा सकें।
दूसरी लहर में जनपद स्तर पर कोविड के चार सरकारी अस्पताल बनाए गए थे और वहीं पर उनके इलाज का प्रबंधन किया गया था। तीसरी लहर के लिए चार तहसीलों में कोविड प्रभावित बच्चों के इलाज की व्यवस्था की गई है। इसके तहत मछलीशहर और बदलापुर में 50-50 बेड तथा केराकत और शाहगंज में 30-30 बेड बच्चों के इलाज करने के लिए तैयार हैं। इन अस्पतालों के बेड़ों में से दो-दो आइसीयू बेड आरक्षित किए गए हैं, जबकि दस बेड़ों को आक्सीजन की आपूर्ति करने वाली पाइप लाइनों से जोड़ा गया है। इसके अलावा दस-दस आक्सीजन कंसंट्रेटर भी रखा गया है। जिसका आवश्यकता पड़ने पर उपयोग किया जा सके। बच्चों के उपचार को पीकू तैयार
जौनपुर : तीसरी लहर में बच्चों के अधिक प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है। इसे देखते हुए एमसीएच विग में 40 बेड का पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीकू) तैयार किया गया है। यहां पर एडवांस उपकरण जैसे वेंटीलेटर, बाइपैप मशीन व हाई फ्लो नेजल केनूला (एचएफएनसी) उपलब्ध हैं। इसके अलावा 40 बेड का न्यू नेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (नीकू) भी तैयार कर लिया गया है। ईपीडिमियोलाजिस्ट डा. जियाउल हक ने बताया कि तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए केराकत, शाहगंज, बदलापुर और सतहरिया में भी पीडियाट्रिक यूनिट तैयार है। बच्चों के इलाज के लिए बाल रोग विशेषज्ञ तथा पैरा मेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। आक्सीजन पाइप लाइन बिछ चुकी है। जरूरी उपकरण भी उपलब्ध करा दिए गए हैं। इसके साथ ही बड़ों के उपचार के लिए भी संसाधन बढ़ाए गए हैं। वहीं, एमसीएच विग को 120 बेड, हौज खास को 40 बेड तक, रेहटी को 50 बेड तक और मटियारी को 285 तक बढ़ाकर बड़ों के लिए कोविड इलाज की व्यवस्था कराई जा रही है।
एमसीएच विग में तीसरे तल पर 30 बेड सेंट्रल आक्सीजन सप्लाई, तीन बेड आक्सीजन कंसंट्रेटर, 20 आइसीयू की व्यवस्था है, वहीं, चौथे तल पर 34 बेड सेंट्रल आक्सीजन सप्लाई, एक बेड आक्सीजन कंसंट्रेटर की व्यवस्था है। सरकारी के अलावा 14 ऐसे निजी अस्पताल जहां बाल रोग विशेषज्ञ हैं, उन्हें भी कोविड प्रभावित बच्चों के इलाज की अनुमति दी गई है। दूसरी लहर में यह थी व्यवस्था
जिले में कोविड मरीजों के इलाज के लिए दूसरी लहर में मात्र चार सरकारी अस्पताल थे। एमसीएच विग (सौ बेड), हौज सिरकोनी का ट्रामा सेंटर (30 बेड), रेहटी जलालपुर (30 बेड) और मटियारी मुफ्तीगंज में 225 बेड का अस्पताल था। इसके अलावा दस निजी अस्पतालों को भी कोविड के इलाज की अनुमति थी।