अब आनलाइन लेनी होगी वृक्षों के काटने की अनुमति
वृक्षों को काटने की अनुमति अब आनलाइन लेनी होगी। हरे वृक्ष को काटने से पहले कारण को स्पष्ट करना होगा जिसे आवेदन के साथ बकायदा दर्ज किया जायेगा। इतना ही नहीं पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से वृक्षों को काटने की अनुमति भी आसानी से नहीं मिल सकेगी। इससे न सिर्फ पर्यावरण संरक्षित हो सकेगा बल्कि वृक्षों की कटाई पर भी रोक लग सकेगी। शासन स्तर पर भी वृक्षों को काटने की बजाय पौधे लगाने पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे में इस बदलाव को नजीर के रूप में देखा जा रहा है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: वृक्षों को काटने की अनुमति अब आनलाइन लेनी होगी। हरे वृक्ष को काटने से पहले कारण को स्पष्ट करना होगा, जिसे आवेदन के साथ बकायदा दर्ज किया जायेगा। इतना ही नहीं पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से वृक्षों को काटने की अनुमति भी आसानी से नहीं मिल सकेगी। इससे न सिर्फ पर्यावरण संरक्षित हो सकेगा, बल्कि वृक्षों की मनमाना कटाई पर भी रोक लग सकेगी। शासनस्तर पर भी वृक्षों को काटने की बजाय पौधे लगाने पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे में इस बदलाव को नजीर के रूप में देखा जा रहा है।
वृक्षों की कटाई से न सिर्फ पर्यावरण प्रभावित हो रहा है, बल्कि आम लोगों के जनजीवन पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। विभिन्न चरणों के बाद वृक्षों को काटने की स्वीकृति डीएफओ देंगे। वृक्षों को काटने की वजह के साथ पूरा ब्यौरा को अपलोड करना होगा। इसके पहले वृक्षों की कटाई को लेकर नियम इतना सख्त नहीं था, जिसमें अब बदलाव कर दिया गया है। विकास कार्यों को गति देने के लिए जिस तेजी से वृक्ष काटे गये उतनी संख्या में पौधे रोपे नहीं जा सके। यही वजह है कि सड़कों के किनारे अब वृक्षों की संख्या बेहद कम रह गई है। प्रतिबंधित वृक्षों को काटने के लिए आवेदन की जांच पहले रेंज अधिकारी करेंगे जो अपनी रिपोर्ट डीएफओ को देंगे। इसके बाद निर्धारित शुल्क जमा करने व पूरी जांच के बाद वृक्ष को काटने की अनुमति दी जायेगी। बोले अधिकारी
अभी तक वृक्षों काटने के तकरीबन 80 आवेदन मिले हैं। प्रक्रिया आनलाइन होने की वजह से वृक्षों को कटवाने वालों की संख्या बेहद कम हो गई है। वृक्षों के संरक्षण के लिहाज से यह नियम संजीवनी की तरह है। वृक्ष को अनुमति बिना काटने पर वृक्ष संरक्षण अधिनियम के तहत दस हजार रुपये तक जुर्माना है। बार-बार ऐसी शिकायत पर आरोपित को जेल भी हो सकती है।
-एपी पाठक, डीएफओ।