दो दशक से एक भी संस्कृत विद्यालय को नहीं मिली मान्यता

जागरण संवाददाता जौनपुर सूबे की योगी सरकार संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दे रही

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 08:38 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 08:38 PM (IST)
दो दशक से  एक भी संस्कृत विद्यालय को नहीं मिली मान्यता
दो दशक से एक भी संस्कृत विद्यालय को नहीं मिली मान्यता

जागरण संवाददाता, जौनपुर: सूबे की योगी सरकार संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है। प्रधानमंत्री ने भी अपने मन की बात में संस्कृत में भी कमेंट्री को सराहा है। इसके लिए प्रदेश के बजट में भी विशेष प्रावधान किया गया है। संस्कृत विद्यालयों को तमाम सुविधाएं भी मुहैया कराने की व्यवस्था की जा रही है। एक ओर छात्र जहां संस्कृत पढ़ने से भाग रहे हैं वहीं दूसरी ओर जटिल प्रक्रिया के कारण लोग विद्यालय खोलने में रुचि नहीं ले रहे हैं। परिणाम है कि दो दशक से जनपद में एक भी संस्कृत विद्यालय को मान्यता नहीं मिली। चल रहे विद्यालय भी संसाधनों की कमी के कारण दयनीय हालत में हैं।

मुगलकाल से ही जनपद शिक्षा का केंद्र रहा है। यहां हिदी, संस्कृत, उर्दू, फारसी समेत विभिन्न भाषाओं के विद्वान देश-दुनिया में अपनी आभा बिखेर रहे हैं। आजादी के बाद प्रोत्साहन मिलने के कारण अंग्रेजी व हिदी माध्यम विद्यालयों की संख्या तो कई गुना बढ़ी, लेकिन संस्कृत शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई। जनपद में 77 संस्कृत विद्यालयों में 63 वित्तपोषित और 14 वित्तविहीन मान्यता प्राप्त हैं। पिछले कई साल से नियुक्ति प्रक्रिया बंद होने से अधिकांश विद्यालय शिक्षकविहीन हो गए हैं। बजट के अभाव में भवन व अन्य संसाधन भी नहीं है। छात्रों की संख्या भी निरंतर कम होती जा रही है।

वर्षों बाद भी नहीं बदली स्थिति

संस्कृत शिक्षा बोर्ड का गठन हुए कई साल बीतने के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ। खामी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2000 के बाद जिले में एक भी विद्यालय को मान्यता नहीं मिली। दो साल पूर्व केराकत के एक संचालक ने आवेदन किया भी तो उसे बैठक में अस्वीकृत कर दिया गया। पूर्व में चल रहे कुछ पुराने विद्यालय मान्यता के लिए चक्कर काट रहे हैं।

बोले जिम्मेदार.. विद्यालयों को मान्यता संस्कृत शिक्षा बोर्ड की बैठक में दिया जाता है। गाइड लाइन के जो आवेदन आएंगे उन्हें बोर्ड को भेज दिया जाएगा।

-राज कुमार पंडित, जिला विद्यालय निरीक्षक।

--------------------------------------- सरकार संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने की घोषणा तो कर रही है, लेकिन विद्यालयों में संसाधनों के लिए अभी तक कोई विशेष पहल नहीं की गई है। पूर्ववर्ती सपा सरकार में प्रदेश के 449 विद्यालयों को मान्यता देने की प्रक्रिया चल रही थी, इनमें से 220 विद्यालयों को मान्यता मिली, बसपा राज में भी 120 विद्यालयों को मान्यता दी गई। बचे विद्यालयों के बारे में कोई विचार नहीं किया गया।

-अतुल दुबे, अध्यक्ष, संस्कृत शिक्षक कल्याण समिति।

chat bot
आपका साथी