कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने आस्था के समुद्र में लगाई डुबकी

जागरण संवाददाता जौनपुर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को श्रद्धालुओं ने आस्था के समंद

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 05:39 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 10:45 PM (IST)
कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने आस्था के समुद्र में लगाई डुबकी
कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने आस्था के समुद्र में लगाई डुबकी

जागरण संवाददाता, जौनपुर : कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को श्रद्धालुओं ने आस्था के समंदर में डुबकी लगाई। गोमती नदी के सूरज घाट, तिलवारी, पिलकिछा, बलुवा, विजयीपुर, बेलांव और सई के संगम राजेपुर में भी स्नान पौ फटने के पूर्व ही शुरू हो गया था। लोगों ने गोमती में डुबकी लगाने के बाद भगवान विष्णु की पूजा की तथा गरीबों में वस्त्र, अन्न आदि का दान दिया। वैश्विक महामारी के कारण इस वर्ष मेले का आयोजन नहीं किया गया। संक्रमण के भय के चलते अन्य वर्षों की अपेक्षा इस साल स्नान करने वालों की भीड़ काफी कम रही।

नगर के पचहटिया स्थित सूरज घाट गोमती तट पर तड़के ही स्नानार्थी जुटने लगे। आदि गंगा गोमती में स्नान के बाद दर्शनार्थियों ने सूर्यदेव को अ‌र्घ्य देकर मंदिरों में पूजा पाठ किया। सुरक्षा के ²ष्टिकोण से सूरज घाट नदी तट पर पुलिस व महिला पुलिस की भी तैनाती रही। प्रत्येक वर्ष की भांति गीतांजलि संस्था की तरफ से कैंप लगाकर समय-समय पर भीड़ नियंत्रण तथा कोरोना संक्रमण संबंधित सूचनाएं देते रहे।

सिरकोनी क्षेत्र के राजेपुर गांव स्थित सई- गोमती के संगम पर ऐतिहासिक मेला लगता है लेकिन महामारी के कारण इस वर्ष आयोजन नहीं हुआ। बुजुर्गों के अनुसार अष्टावक्र का आश्रम था। भगवान रामचंद्र जी ने लंका से माता सीता के साथ वापस अयोध्या लौटते समय इसी संगम पर स्नान करने पूजा के लिए शिवलिग की स्थापना किया था। तुलसीदास जी ने भी रामचरित मानस में इसका वर्णन किया है। उसी समय से कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिमुहानी पर ऐतिहासिक मेले का आयोजन किया जाता रहा है। मान्यता है कि यहां स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। सुरक्षा व्यवस्था में तैनात मजिस्ट्रेट एवं पुलिस सतर्क रही।

इसी क्रम में खुटहन के पिलकिछा घाट पर भी श्रद्धालुओं की काफी कम भीड़ रही। पर्व पर श्रद्धालुओं ने आदिगंगा गोमती में स्नान करके दान-पुण्य अर्जित किया।

मान्यता है कि लंका पर विजय प्राप्त कर कार्तिक पूर्णिमा के दिन जब भगवान श्रीराम माता सीता, लक्ष्मण व बानरी सेना के साथ पुष्पक विमान से अयोध्या लौट रहे थे, तब उनका विमान कुछ क्षणों के लिए यहां उतरा था। तब से ही यहां दूर-दूर से स्नानार्थी आते रहे हैं। घाट के बगल श्रीराम, जानकी तथा हनुमान व शिव मंदिर हैं। स्नान के बाद श्रद्धालु पूजा अर्चना करते हैं। इसी के साथ यहां पर लगने वाला साप्ताहिक मेला शुरू हो जाता है।

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