पशुओं में तेजी से फैल रहा संक्रामक रोग लिप

क्षेत्र के कई गांवों के पशुओं में संक्रामक रोग लिप तेजी से पांव पसार रहा है। अभी तक कटघर कम्मरपुर रामनगर सारीजहांगीरपट्टी खानपुर व एकडला समेत दर्जनों गांवों में सैकड़ों पशु इसकी चपेट में आ चुके हैं। सूचना पाकर रविवार को गांव में पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने संक्रमित पशुओं को दवा इंजेक्शन देने के साथ ही रोग से बचाव के प्रति पशुपालकों को भी जागरूक किया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 10:57 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 10:57 PM (IST)
पशुओं में तेजी से फैल रहा संक्रामक रोग लिप
पशुओं में तेजी से फैल रहा संक्रामक रोग लिप

जागरण संवाददाता, सरपतहां (जौनपुर) : क्षेत्र के कई गांवों के पशुओं में संक्रामक रोग लिप तेजी से पांव पसार रहा है। अभी तक कटघर, कम्मरपुर, रामनगर, सारीजहांगीरपट्टी, खानपुर व एकडला समेत दर्जनों गांवों में सैकड़ों पशु इसकी चपेट में आ चुके हैं। सूचना पाकर रविवार को गांव में पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने संक्रमित पशुओं को दवा, इंजेक्शन देने के साथ ही रोग से बचाव के प्रति पशुपालकों को भी जागरूक किया। रोग के ये हैं लक्षण व बचाव

इस रोग का संक्रमण मक्खी, मच्छर या फिर संक्रमित पशु के सीधे संपर्क में आने से होता है। रोग की चपेट में आने वाले पशु के शरीर की चमड़ी पर शुरुआत में गोल आकार की गांठें पड़ जाती हैं। समय पर इलाज न मिलने पर ये जल्द ही पूरे शरीर के साथ ही उसके मुंह व भीतरी अंगों में भी फैल जाती हैं। पशु में तेज बुखार के साथ ही पैर आदि अंगों में सूजन आ जाती है। वह धीरे-धीरे चारा खाना कम कर देता है। गाठें पक जाती हैं, जिनसे मवाद रिसने लगता है। वायरस जनित रोग होने के कारण इसका कोई सटीक इलाज नहीं है।

देश में इसका पहला मामला अगस्त 2019 में उड़ीसा राज्य में मिला था। इसके बाद दक्षिण के कुछ राज्यों से होता हुआ यह महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश तक फैल गया। इस वर्ष उत्तर प्रदेश में भी इसके तमाम केस सामने आ रहे हैं। सावधानी ही इसका सबसे बड़ा इलाज है। लक्षण दिखने पर तत्काल चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। पशुशाला की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देते हुए संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु से दूर रखना चाहिए। इसमें मृत्यु दर काफी कम है। उचित इलाज व देखरेख किया जाए तो 10 से 15 दिनों में यह ठीक हो जाता है।

-------------------- यह वायरस जनित संक्रामक रोग है जिसका कोई इलाज अभी उपलब्ध नहीं है। लक्षण दिखने पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। संक्रमित पशु को अन्य पशुओं के संपर्क में न आने दें। हरा चारा खिलाना बंद कर दें और मक्खी, मच्छर आदि से बचाव के उपाय करें।

- डा. आलोक सिंह पालीवाल, पशु चिकित्साधिकारी, अढ़नपुर सुइथाकलां।

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