तदर्थ शिक्षकों की लंबी सेवाओं की सरकार ने की अनदेखी
जागरण संवाददाता जौनपुर माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड द्वारा अशासकीय सहायता प्राप्त इंटरमीडिएट क
जागरण संवाददाता, जौनपुर: माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड द्वारा अशासकीय सहायता प्राप्त इंटरमीडिएट कालेजों में अध्यापकों की रिक्तियों के विज्ञापन पर शिक्षक संगठनों ने सवाल उठाया है। पूर्व एमएलसी चेत नारायण सिंह ने कहा है कि तदर्थ शिक्षकों की लंबी सेवाओं की सरकार ने अनदेखी की है।
उन्होंने कहा है कि सरकार ने तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं तब ली जब शिक्षकों के अभाव में शिक्षण संस्थाएं बंद होने की कगार पर थीं। सरकार द्वारा उनकी सेवाओं को समायोजित करते हुए उन्हें नियमित किया जाना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर जो भर्ती प्रक्रिया अपनाई जा रही है वह अन्यायपूर्ण है। अधिभार की पूरी कवायद तदर्थ शिक्षकों को परीक्षा उत्तीर्ण होने से रोकने की कोशिश है। यह कोर्ट के निर्णय का मखौल उड़ाया जा रहा है। वहीं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष रमेश सिंह ने कहा कि तदर्थ शिक्षकों के साथ सरकार ने धोखा किया है। इतनी भारी मात्रा में रिक्तियों के बावजूद महज कुछ तदर्थ शिक्षकों के समायोजन की समुचित व्यवस्था न करके सरकार ने फिर से उन्हें छलने का कार्य किया है। परीक्षा में 500 अंकों की परीक्षा में अधिकतम 35 नंबर का अधिभार केवल खानापूर्ति के सिवाय कुछ नही है। सरकार को तुरंत इस पर पुनर्विचार करना चाहिए, अन्यथा माध्यमिक शिक्षक संघ तदर्थ शिक्षकों के हितों के लिए सड़क पर उतरने को विवश होगी।