रबी के समय गोदाम हुए खाली, सचिव जा रहे हड़ताल पर

जागरण संवाददाता जौनपुर रबी के फसलों की खेती का समय शुरू हो गया है। किसान बोआई में लग

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 04:39 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 04:39 PM (IST)
रबी के समय गोदाम हुए खाली, सचिव जा रहे हड़ताल पर
रबी के समय गोदाम हुए खाली, सचिव जा रहे हड़ताल पर

जागरण संवाददाता, जौनपुर: रबी के फसलों की खेती का समय शुरू हो गया है। किसान बोआई में लग गए हैं, ऐसे में साधन सहकारी समितियों के गोदाम खाद से खाली होने लगे हैं। वहीं दूसरी ओर अपनी मांगों को लेकर सचिव हड़ताल पर जा रहे हैं। ऐसे में जहां धान की खरीद प्रभावित होगी वहीं किसानों को खाद, बीज के लिए भी भटकना पड़ेगा।

मांग के अनुरूप डीएपी की उपलब्धता न होने व एनपीके व एनपीएस का दाम बढ़ाना भी वैश्विक महामारी से जूझ रहे अन्नदाताओं के लिए भारी पड़ेगी। जिम्मेदार विभाग की उदासीनता के चलते उन्हें तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी बैंकों से कर्ज लेने में हो रही है।

अगेती आलू की बोआई के साथ ही रबी अभियान की खेती शुरू हो गई है। किसान खेत तैयार करके डीएपी के लिए समितियों का चक्कर काट रहे हैं। उन्हें मांग के अनुरूप नहीं मिल रही है। दूसरी तरफ प्रांतीय नेतृत्व के आह्वान पर उत्तर प्रदेश सहकारी कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष कैलाश नाथ सिंह के नेतृत्व में सदस्यों ने ज्ञापन देकर तीन सूत्रीय मांगों को लेकर एक नवंबर से हड़ताल की चेतावनी दी है। ऐसे में किसानों को समितियों से खाद-बीज नहीं मिल पाएगी।

डीएपी की जगह जबरन

दिया जा रहा एनपीके

जौनपुर: खाद-बीज के संकट से जूझ रहे किसानों को वर्तमान में एक और समस्या से जूझना पड़ रहा है। साधन सहकारी समितियों से डीएपी मांगने पर उन्हें जबरन एनपीके दिया जा रहा है। सचिवों का कहना है कि फास्फेटिक उर्वरक में आधा डीएपी व आधा एनपीके दिया जा रहा है। जनपद स्तर से ट्रकों से आपूर्ति न करके पांच से दस टन डीएपी दी जा रही है, जो तीन-चार दिन में ही समाप्त हो जा रही है। सूत्र के अनुसार जनपद में सहकारिता विभाग के कोटे में लगभग तीन हजार टन एनपीके बचा है। इफको एनपीके समाप्त होने पर डीएपी की आपूर्ति करने की बात कह रहा है। बढ़ा दिया गया एनपीके का दाम

जौनपुर: अन्नदाताओं को उर्वरक खरीदने में भी महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है। सब्सिडी वाली डीएपी मिल नहीं रही और एनपीके का दाम 135 रुपये प्रति बोरी बढ़ा दिया गया है। इतना ही नहीं एनपीएस की कीमत भी 975 रुपये प्रति बोरी से बढ़ाकर 1050 रुपये कर दिया गया है। बरईपार क्षेत्र के प्रगतिशील किसान सुनील सिंह ने कहा कि डीएपी का दाम 1200 रुपये प्रति बोरी है। एनपीके का दाम डीएपी से सिर्फ 15 रुपये कम है। ऐसे में क्यों एनपीके खरीदें।

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जनपद में उर्वरक की कमी नहीं होगी। विभाग के स्टाक में चार हजार टन फास्फेटिक उपलब्ध है। इसमें 1948 टन डीएपी बाकी एनपीके है। किसान डीएपी की मांग अधिक कर रहे हैं। उन्हें जागरूक किया जा रहा है कि एनपीके भी उतना ही कारगर है। इसलिए विकल्प के रूप में प्रयोग करें। उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने नवंबर में एक रैक और दिसंबर में दो रैक डीएपी के लिए पत्र लिखा है।

-अमित पांडेय, एआर कोआपरेटिव।

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