26 लाख स्टांप शुल्क के चलते लटका जेल की भूमि का बैनामा
जागरण संवाददाता जौनपुर प्रस्तावित नए जिला कारागार के लिए जमीन के बैनामा की प्रक्रिया करीब
जागरण संवाददाता, जौनपुर: प्रस्तावित नए जिला कारागार के लिए जमीन के बैनामा की प्रक्रिया करीब छह महीने से रुकी हुई है। निबंधन विभाग का अब भूमि की मालियत का एक फीसद शुल्क इसमें बाधक बन गया है। इसके लिए लगभग 26 लाख रुपये की दरकार है। जिला व जेल प्रशासन के बार-बार पत्र लिखने के बाद भी धन अवमुक्त नहीं हो पा रहा है।
अंग्रेजों के समय में डेढ़ सौ साल पहले बने जिला कारागार की बंदी क्षमता महज 320 बंदियों की है। साल दर साल बंदियों की संख्या बढ़ती जा रही है। शनिवार को जेल में बंदियों व कैदियों की संख्या 1106 रही। यह हालत तब है जब गत माह साठ से भी ज्यादा बंदी और कैदी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के चलते संक्रमण से बचाव को दो माह के पेरोल या अंतरिम जमानत पर छोड़े जा चुके हैं। बंदियों की संख्या के मद्देनजर ही शासन ने करीब 13 साल पहले नया कारागार बनाने का फैसला लिया। करीब आठ साल की मशक्कत के बाद जिला मुख्यालय से लगभग सात किलोमीटर दूर जौनपुर-मीरजापुर मार्ग पर कुद्दूपुर, रंजीतपुर व इंदरिया गांव में 23.670 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की गई है। इसमें 12.990 हेक्टेयर जमीन 343 किसानों की जबकि शेष ग्राम समाज की है। किसानों की अधिग्रहित भूमि का सर्किल रेट से करीब चार गुना मुआवजा सरकार दे रही है। जनवरी माह तक 163 किसानों से 5.015 हेक्टेयर जमीन का बैनामा होने के बाद यह प्रक्रिया रोकनी पड़ गई। इसकी वजह है कि निबंधन शुल्क के मद में अवमुक्त की गई रकम खर्च हो चुकी है। निबंधन विभाग जहां पहले निर्धारित दो फीसद निबंधन शुल्क की जगह दस लाख से कम मालियत होने पर 10,500 और अधिकतम 20 हजार शुल्क लेने पर रजामंद था, अब वह भूमि की मालियत का एक फीसद निबंधन शुल्क की मांग कर रहा है। इसके लिए अब करीब 26 लाख रुपये और चाहिए। ----------------------
बोले जिम्मेदार..
निबंधन शुल्क के रूप में और 26 लाख रुपये की जरूरत है। कारागार अधीक्षक एसके पांडेय महानिरीक्षक (कारागार) को कई बार धन स्वीकृत करने के लिए पत्र भेज चुके हैं। जिलाधिकारी ने अपने स्तर से भी पत्र लिखा है। धन अवमुक्त होते ही बाकी 180 किसानों भी भूमि का बैनामा करा लिया जाएगा।
-राज कुमार, जेलर, जौनपुर कारागार।