कोरोना क‌र्फ्यू में प्रदूषण के कहर से बचा पर्यावरण

जागरण संवाददाता जौनपुर वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर को शांत करने के लिए क

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 05:30 PM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 05:30 PM (IST)
कोरोना क‌र्फ्यू में प्रदूषण के कहर से बचा पर्यावरण
कोरोना क‌र्फ्यू में प्रदूषण के कहर से बचा पर्यावरण

जागरण संवाददाता, जौनपुर: वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर को शांत करने के लिए कोरोना क‌र्फ्यू जहां बेहतर परिणाम दे रहा है, वहीं पर्यावरण की दृष्टि से भी काफी मददगार साबित हो रहा है। बंदी का असर है कि वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 से घटकर 68 तक लुढ़क गया है। जबकि वायु के साथ ध्वनि व जल प्रदूषण में कमी दर्ज की गई है। पर्यावरणविदों का कहना है कि यह आंकड़ा भविष्य के लिए शुभ संकेत है। संतुलन बरकरार रहा तो तमाम बीमारियों से भी निजात मिल जाएगी। पर्यावरण प्रदूषण देश के लिए विकट समस्या है। महानगरों के साथ अब छोटे शहर भी तेजी से इसकी चपेट में आए रहे हैं। परिणाम स्वरूप इंसानों में अनेक बीमारियां पनपी हैं। जीव विलुप्त हो रहे हैं। दरअसल, पर्यावरण को लेकर सरकार हर साल चिंता व्यक्त करती हैं और उसके निदान के लिए बजट मुहैया कराती है, लेकिन सार्थक परिणाम न के बराबर रहे हैं। असल में पिछले साल कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में पर्यावरण में अप्रत्याशित बदलाव दिखाई दिया। ठीक वहीं बदलाव एक बार फिर से कोरोना क‌र्फ्यू में दिखा है। 30 अप्रैल, 2021 से लगे कोरोना क‌र्फ्यू का असर है कि वायुदाब गुणवत्ता सूचकांक रविवार को घटकर सामान्य स्थिति में पहुंच गया।

कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम विज्ञानी डाक्टर पंकज जायसवाल ने बताया कि 23 अप्रैल को वायुदाब गुणवत्ता

सूचकांक 300 था। 30 अप्रैल से वाहनों के संचालन में कमी के कारण यह स्थिति संतोषजनक हुई है। बताया कि धुआं रहित उच्च तकनीक आधारित उपकरणों का उपयोग किया जाए और

वनों की बेतहाशा कटाई पर रोक लगे तो निश्चित ही पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सकेगा।

वायुदाब गुणवत्ता सूचकांक की स्थिति.. तारीखा एक्यूआइ

12 मई- 155

13 मई- 150

14 मई- 145

15 मई- 180

16 मई- 68 वायु गुणवत्ता सूचकांक का असर

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एयर क्वालिटी इंडेक्स- स्वास्थ्य पर प्रभाव

0-50 (अच्छा)-कुछ नहीं।

51-100(संतोषजनक)-संवेदनशील लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।

101 -200(थोड़ा प्रदूषित)- फेफड़े की बीमारी जैसे अस्थमा और हृदय रोग, बच्चों और बड़े वयस्कों के साथ अन्य लोगों के सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।

201-300 (खराब)- लंबे समय तक ऐसा रहने पर लोगों को सांस लेने तकलीफ और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को बहुत असुविधा हो सकती है। 301-400 (बहुत खराब): लंबे समय तक ऐसा रहने पर लोगों को सांस की बीमारी हो सकती है। फेफड़े और दिल की बीमारियों वाले लोगों पर अधिक प्रभाव खतरनाक हो सकता है।

401 से 500(गंभीर)- यह आपातकाल कहा जाएगा। स्वस्थ लोगों का भी श्वसन खराब हो सकता है।

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