पोषण वाटिका तैयार कर बच्चों को बनाएंगे सुपोषित

जनपद में 1149 अति कुपोषित (सैम) व 4646 मध्यम कुपोषित (मैम) बच्चों को बाल विकास सेवा व पुष्टाहार विभाग सामान्य श्रेणी में लाने के लिए प्रयासरत है। इनको कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए सभी विभागों व संस्थाओं को साथ आना होगा। इसलिए ऐसे बच्चों को चिह्नित कर उन्हें पोषण पोटली वितरित की जाए। बच्चों के परिवार वालों से बात कर उन्हें स्वच्छता की अहमियत बताई जाए। उक्त बातें मुख्य विकास अधिकारी अनुपम शुक्ल ने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित कार्यशाला में कही।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 07:35 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 07:35 PM (IST)
पोषण वाटिका तैयार कर बच्चों को बनाएंगे सुपोषित
पोषण वाटिका तैयार कर बच्चों को बनाएंगे सुपोषित

जागरण संवाददाता, जौनपुर : जनपद में 1,149 अति कुपोषित (सैम) व 4,646 मध्यम कुपोषित (मैम) बच्चों को बाल विकास सेवा व पुष्टाहार विभाग सामान्य श्रेणी में लाने के लिए प्रयासरत है। इनको कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए सभी विभागों व संस्थाओं को साथ आना होगा। इसलिए ऐसे बच्चों को चिह्नित कर उन्हें पोषण पोटली वितरित की जाए। बच्चों के परिवार वालों से बात कर उन्हें स्वच्छता की अहमियत बताई जाए। उक्त बातें मुख्य विकास अधिकारी अनुपम शुक्ल ने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित कार्यशाला में कही।

आइसीडीएस विभाग के तत्वावधान में सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से आयोजित मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला में उन्होंने कहा कि साफ-सफाई रखकर पोषण की समस्या को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। जिला कार्यक्रम अधिकारी को निर्देशित किया कि जिन गांवों में सैम बच्चे हैं वहां पोषण वाटिका तैयार की जाए। जिला कार्यक्रम अधिकारी दीपक प्रताप चौबे ने कार्यशाला शुरू होने से पहले सीडीओ को सभागार के बाहर लगे स्टाल का भ्रमण कराया।

उन्होंने स्टाल पर लगी पोषण तश्तरी के माध्यम से दैनिक आहार में शामिल खाने-पीने वाली वस्तुओं से शरीर को मिलने वाले पोषण की जानकारी दी। एक अन्य स्टाल पर बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा की खूबियां बताईं गईं। बाल विकास परियोजना अधिकारी मनोज कुमार वर्मा ने कुपोषण के कारण तथा उसके परिणाम बताए। उन्होंने बताया कि अपर्याप्त भोजन, बार-बार बीमार होना, खाने के तरीके सही न होना, पेट में कीड़े होना आदि स्थितियां बतातीं हैं कि बच्चा कुपोषित है। कुपोषण के परिणामस्वरूप मृत्यु तक हो सकती है। पढ़ाई में अरुचि, अत्यधिक थकान महसूस होना, काम में मन नहीं लगना, कार्य क्षमता में कमी की स्थिति बनती है।

कार्यक्रम में नेवादा की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गीता यादव ने खुशी और आयुषी दो बच्चियों को पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) के माध्यम से उन्हें कुपोषण से मुक्ति दिलाने के बारे में जानकारी दी। वहीं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुजाता चतुर्वेदी ने बताया कि कैसे उन्होंने किशोरियों को एनीमिया से मुक्त कराने का प्रबंधन किया। कार्यशाला में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. राजीव कुमार के अलावा जिला पंचायत राज, बेसिक शिक्षा, जिला विद्यालय निरीक्षक, मनरेगा, स्वत: रोजगार, जिला पूर्ति आदि विभागों से भी अधिकारी शामिल हुए।

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