दहशत में बंदी, जेल प्रशासन की भी जान सांसत में
कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण से स्थिति बिगड़ रही है। देश में इसकी दूसरी लहर में पिछले कुछ दिनों से रोजाना दो लाख के आसपास व्यक्तियों के संक्रमित मिलने से जिला कारागार में निरुद्ध बंदी दहशत के साए में दिन गुजार रहे हैं।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण से स्थिति बिगड़ रही है। देश में इसकी दूसरी लहर में पिछले कुछ दिनों से रोजाना दो लाख के आसपास व्यक्तियों के संक्रमित मिलने से जिला कारागार में निरुद्ध बंदी दहशत के साए में दिन गुजार रहे हैं। उनके स्वजन भी चितित हैं कि कहीं जेल में संक्रमण हुआ तो क्या होगा। जेल प्रशासन की भी जान सांसत में है। फिलहाल बंदियों को संक्रमण से बचाने को हरसंभव कदम उठा रहा है।
जेल में क्षमता से तीन गुना ज्यादा लगभग 1200 बंदी निरुद्ध हैं। बचाव का सबसे कारगर उपाय दो गज की दूरी और मास्क है। जेल प्रशासन चाहते हुए भी दो गज की दूरी वाले फार्मूले पर अमल नहीं करा पा रहा है। हर बैरक में तीन से चार गुना बंदी रखे गए हैं। डर इसी बात का है कि यदि इनमें से एक भी बंदी संक्रमित हुआ तो फिर जेल में कोरोना विस्फोट हो सकता है। पिछले साल संक्रमण इतना नहीं था तब भी जिला प्रशासन ने अस्थाई जेल की व्यवस्था कराई थी। इस बार अब तक ऐसी कोई कवायद शुरू ही नहीं हुई है। इसके चलते बंदी संक्रमण की आशंका से सहमे हुए हैं। उनके स्वजन भी इसे लेकर चितित हैं। जेल प्रशासन बंदियों को संक्रमण से बचाने के लिए हर हिकमत लगा रहा है। जेलर राजकुमार ने बताया कि शुक्रवार को आरटीपीसीआर जांच में संक्रमित मिले एक बंदी को क्वारंटाइन में रखा गया है। सभी बंदियों को दूसरी पाली में भोजन से पूर्व एक बार फिर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को काढ़ा पिलाना शुरू कर दिया गया है।
नवागंतुक बंदियों को रखा जा रहा अलग बैरक में
कोरोना संक्रमण के पहले चरण से ही जेल में आने वाले नए बंदियों के लिए की गई अलग बैरक की व्यवस्था बरकरार है। नए बंदियों को क्वारंटाइन अवधि अर्थात कम से कम 14 दिन इसी बैरक में रखा जा रहा है। इसके बाद स्वास्थ्य संबंधी कोई शिकायत न होने पर ही उसे अन्य बंदियों के साथ बैरक में भेजा जाता है।