नारी व कलश दोनों शक्ति की प्रतीक

जागरण संवाददाता खुटहन (जौनपुर) क्षेत्र के डिहिया गांव में श्रीमद्भागवत कथा महायज्ञ के पूर्व

By JagranEdited By: Publish:Fri, 04 Dec 2020 11:09 PM (IST) Updated:Fri, 04 Dec 2020 11:46 PM (IST)
नारी व कलश दोनों शक्ति की प्रतीक
नारी व कलश दोनों शक्ति की प्रतीक

जागरण संवाददाता, खुटहन (जौनपुर): क्षेत्र के डिहिया गांव में श्रीमद्भागवत कथा महायज्ञ के पूर्व शुक्रवार को भव्य कलश यात्रा निकाली गई। कलश पूजन के बाद यात्रा का शुभारंभ हुआ। गांव के पुराने कूप से 51 महिलाओं ने कलश में जल भरकर पूरे गांव का भ्रमण किया। इसके बाद कथा स्थल पर पहुंची यात्रा का समापन हुआ।

प्रमुख यज्ञाचार्य पं. परमानंद तिवारी ने कलश यात्रा का वैदिक एवं धार्मिक महत्व बताते हुए कहा कि कलश में समस्त तीर्थों का पुण्य संचित होता है। कलश व नारी दोनों शक्ति का साक्षात स्वरूप होती हैं। दोनों के एक साथ होने से इसका धार्मिक फल कई गुना बढ़ जाता है। इस मौके पर रामजी मिश्र, वेदाचार्य हरिचरन शांडिल्य, राकेश मिश्र, रमेश मिश्र, शरद मिश्र, नीरज मिश्र, राजधारी मिश्र, दिनेश मिश्र, भानु प्रकाश, सूरज मिश्र आदि कलश यात्रा में शामिल रहे। आयोजक मुख्य यजमान अवकाश प्राप्त पूर्व कमिश्नर लालजी मिश्र ने आगंतुकों के प्रति आभार जताया। भागवत कथा के सुनने मात्र से कट जाते हैं पाप

जागरण संवाददाता, नौपेड़वा (जौनपुर): श्रीमद्भागवत कथा के सुनने मात्र से मनुष्य के जीवन के पाप कट जाते हैं। जीवन में जो कुछ हो रहा है हरि इच्छा से हो रहा है। उन्होंने राजा परीक्षित की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि कर्म ही प्रधान है। जो जैसा करता है उसका फल उसे मिलता है। उक्त बातें बक्शा विकास खंड के उमरक्षा निवासी प्रभाकर शुक्ल के आवास पर सात दिवसीय श्रीद्भागवत कथा के दूसरे दिन गुरुवार की शाम श्रीहरि दिव्य साधना पीठ प्रतापगढ़ के श्रीकृष्ण मुकुंद महाराज ने कही।

उन्होंने भागवत कथा की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि परमात्मा का स्मरण ही जहां सुख है वही उनका विस्मरण दुखों का कारण है। बड़ों के प्रति समर्पण छोटों के संरक्षण ही मानव कल्याण का साधक है।

उन्होंने कहा कि प्रभु राम मर्यादा तो श्रीकृष्ण लीला पुरुष थे। भागवत कथा के समापन पश्चात आरती व भक्तों के बीच प्रसाद वितरण किया गया। कार्यक्रम आयोजक प्रभाकर शुक्ल ने आये हुए लोगो के प्रति आभार जताया। इस दौरान दिनेश शुक्ल, पद्माकर शुक्ल, सुधाकर शुक्ल, कमलेश उपाध्याय, सदाशिव शुक्ल, कैलाश शुक्ल सहित सैकड़ों भक्त मौजूद थे।

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