रोडवेज बस में असुविधा के लिए 40 लाख का दावा
सदर कोतवाली क्षेत्र के रसूलाबाद निवासी अधिवक्ता ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक व एआरटीओ वाराणसी समेत चार पर 40 लाख रुपये मुआवजे का दावा दीवानी न्यायालय के स्थाई लोक अदालत न्यायालय में किया है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: सदर कोतवाली क्षेत्र के रसूलाबाद निवासी अधिवक्ता ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक व एआरटीओ वाराणसी समेत चार पर 40 लाख रुपये मुआवजे का दावा दीवानी न्यायालय के स्थाई लोक अदालत न्यायालय में किया है। कोर्ट ने 18 मार्च को सुनवाई के लिए तिथि नियत की है।
अधिवक्ता प्रशांत ने कोर्ट में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक, एआरटीओ वाराणसी, जनपद के डिपो प्रभारी व लखनऊ के सड़क परिवहन निगम के प्रबंधक के खिलाफ दरखास्त दिया कि वह अपनी पत्नी व दो बच्चों के साथ लखनऊ जाने के लिए 23 जनवरी को शाम चार बजे रोडवेज बस स्टैंड पर पहुंचे। एक साफ-सुथरी बस देख उसमें बैठ गए। जब बस चली तभी डिपो के कर्मचारी बस को रोककर सवारी उतारने लगे और कहे कि यह बस लखनऊ नहीं वाराणसी जाएगी। आप लोग दूसरी बस से जाएं। गैर जिम्मेदार कर्मचारियों की वजह से कोविड-19 के खतरे की अनदेखी करते हुए यात्री उतरे व दूसरी बस में चढ़े। वादी अपनी पत्नी व बच्चों के साथ दूसरी बस में सवारी हुआ। बस का पावदान टूटा होने के कारण उसमें से काफी धूल आ रही थी। जिससे सांस लेना मुश्किल हो गया था। जिस सीट पर बैठे थे उसके सामने की सीट पर पीछे की ओर नुकीली कील बाहर निकली हुई थी। जिससे बच्चों के आंख व शरीर में चुभने का खतरा बना था। दूसरी सीट पर बैठना चाहा तो वह पूरी तरह से टूटी हुई थी। उस पर नहीं बैठ सका। एआरटीओ ने किस प्रकार उस बस का स्वस्थता प्रमाण पत्र निर्गत किया गया। वादी, उसकी पत्नी व बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा और करीब 10 घंटे में रात में लखनऊ पहुंचे। लौटने के बाद कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया।