20 सेंटीमीटर की दर से नीचे भाग रहा पानी

जागरण संवाददाता, जौनपुर: अपने फायदे के लिए जरूरत से अधिक जल दोहन करने से जल स्तर लगातार ि

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Mar 2018 06:37 PM (IST) Updated:Wed, 21 Mar 2018 06:37 PM (IST)
20 सेंटीमीटर की दर
से नीचे भाग रहा पानी
20 सेंटीमीटर की दर से नीचे भाग रहा पानी

जागरण संवाददाता, जौनपुर: अपने फायदे के लिए जरूरत से अधिक जल दोहन करने से जल स्तर लगातार गिर रहा है। 20 सेंटीमीटर की दर से नीचे नीचे भाग रहे पानी को देखते हुए आठ ब्लाकों को डार्क जोन घोषित किया जा चुका है। जल स्तर को लेकर महज गांव ही नहीं बल्कि, शहरों की स्थिति भी ¨चताजनक है। बरसात के पानी को सहेजने के लिए विकास भवन में रेन वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम के तहत बने ड्रेन में कूड़ा फेंका जा रहा है।

पानी को सहेजने को लेकर प्रत्येक स्तर पर लापरवाही बरती जा रही है। यही वजह है कि जल स्तर घटते हुए पाताल पहुंच रहा है। बीते तीन वर्षों में प्रतिवर्ष 15 से 20 सेंटीमीटर जल स्तर गिरने की वजह से आठ ब्लाकों को डार्क जोन घोषित किया जा चुका है। कुछ अन्य ब्लाक भी खतरे के निशान पर हैं। स्थिति खराब होने की मुख्य वजह जरूरत से अधिक जल दोहन हो रहा है। जिले में तकरीबन 35 हजार ट्यूबवेल हैं। एक ट्यूबवेल से एक घंटे में औसतन 10 हजार लीटर पानी बाहर आता है। इस तरह लाखों लीटर जल दोहन महज ट्यूबवेल से रहा है। इसके अलावा तकरीबन एक लाख 40 हजार हैंडपंप, सबमर्सिबल व अन्य स्रोतों से जल दोहन किया जा रहा है। इतना ही नहीं वाहनों की धुलाई से भी बड़े पैमाने पर जल स्तर प्रभावित हो रहा है। ¨चता की बात यह है कि जिस अनुपात में धरती के पानी का दोहन किया जा रहा है, उस अनुपात में लौटाया नहीं जा रहा है। जल स्तर को सुधारने को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बरसात के पानी को बर्बाद किया जा रहा है। लाखों रुपये की लागत से विकास भवन में बनकर तैयार वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम कूड़ादान बन गया है। तकरीबन यही हाल बनाए गए अन्य आठ ब्लाकों के वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम का भी है।

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कुएं को सहेजने की खत्म हो रही परंपरा: पाताल में समा रहे जल स्तर की वजह से गांवों के अधिकतर कुएं सूख चुके हैं। कुएं को सहेजने की परंपरा भी अब समाप्त होती जा रही है। मौजूदा समय में जिले भर के गांवों में तकरीबन 17 हजार कुएं हैं। इनमें अधिकतर सूख चुके हैं। प्रदूषण की वजह से बचे रह गए कूओं का पानी भी पीने लायक नहीं बचा है। सूखे तालाबों को भी कब्जाया जा रहा है। गड्ढों व तालाबों को पाटने की वजह से बरसात के दिनों में मोती समान बरसात का पानी बर्बाद हो रहा है।

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डार्कजोन घोषित ब्लाक: महराजगंज, बक्शा, करंजाकला, धर्मापुर, मुफ्तीगंज, केराकत, डोभी, बरसठी व सिकरारा में जल स्तर पाताल पहुंच चुका है। बक्शा, डोभी, सिरकोनी आदि में 150 फीट पर पानी प्राप्त होता है। शाहगंज व मछलीशहर ब्लाक में 100 से 125 फीट पर पेयजल मिल रहा है। इन ब्लाकों में ¨सचाई के लिए गहरी, मध्यम ट्यूबेल की बो¨रग तक नहीं कराई जाती है। सरकारी बो¨रग पर भी प्रतिबंध होने की वजह से किसानों को ¨सचाई के लिए भी भारी परेशानियों को सामना करना पड़ता है।

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सई से अधिक प्रदूषित निकली गोमती

एक वर्ष पहले आस्ट्रेलिया और बीएचयू की संयुक्त टीम ने गोमती के पानी की जांच की थी। टे¨स्टग मशीन के जरिए कि गई सई व गोमती की नदी के पानी की जांच में प्रारंभिक तौर पर यह बात सामने आई थी कि गोमती नदी अब सई नदी से भी अधिक प्रदूषित हो चुकी है। जांच के दौरान सई नदी में घुलित ठोस पदार्थ की मात्रा 320 पाई थी, जबकि गोमती नदी में यही मात्रा 330 मिली थी। यह मात्रा 200 के नीचे होनी चाहिए।

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बनाए गए 65 चेकडैम: जल स्तर को बढ़ावा देने के लिहाज से 65 स्थानों पर चेकडैम बनाए गए हैं। हालांकि इनकी संख्या पर्याप्त नहीं है। गिरते जल स्तर को बढ़ाने के लिए इनकी संख्या को बढ़ाना होगा।

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यह हो प्रयास तो बने बात

प्रत्येक सरकारी कार्यालय में रेन वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम स्थापित हो

इमारतों में वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम बनवाने का नियम सख्ती से लागू हो

आरओ से निकलने वाले का सफाई व गमलों में पानी डालने का उपयोग हो

अभिभावक बच्चों में जल संचयन को लेकर जागरूक करें

स्कूलों में भी शिक्षक बच्चों को पानी बचाने के लिए प्रेरित करें

अतिक्रमण की चपेट में तालाबों-पोखरों को गहरा कराया जाय

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लगातार घट रहा जलस्तर ¨चता का विषय है। स्थिति को बेहतर करने के लिए कम लागत वाले चेकडैम की संख्या बढ़ाई जाएगी। गड्ढों, तालाबों पर कब्जा करने वालों के खिलाफ अभियान के तहत कार्रवाई की जा रही है। अभियान में पारदर्शिता के लिहाज से समय-समय इसकी समीक्षा भी की जाती है। विकास भवन में रेन वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम के तहत बने ड्रेन सिस्टम को दुरुस्त कराया जाएगा।

अर¨वद मलप्पा बंगारी, जिलाधिकारी जौनपुर

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