126 भट्ठों को प्रमाण पत्र, 505 को खनन की अनुमति
सूबे के मुखिया की ईमानदारी का जहां देश-दुनिया में डंका बज रहा है वहीं हुक्मरान स्वहित में दामन दागदार कर दे रहे हैं। इसका प्रमाण है जनपद में पर्यावरण को पलीता लगा रहे ईंट भट्ठा।
जागरण संवाददाता, (जौनपुर): सूबे के मुखिया की ईमानदारी का जहां देश-दुनिया में डंका बज रहा है वहीं हुक्मरान स्वहित में दामन दागदार कर दे रहे हैं। इसका प्रमाण है जनपद में पर्यावरण को पलीता लगा रहे ईंट भट्ठा। नियम कानून हासिए पर रखकर ऐसे भट्ठों को खनन की अनुमति दे दी गई जिन्हें पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र ही जारी नहीं किया गया है।
प्रदूषण से बचने के लिए पहले ईंट भट्ठों के चिमनी निर्माण के लिए एनओसी ली जाती है। इसके बाद सहमति प्रमाण पत्र प्राप्त करना होता। यह दोनों प्रक्रिया पूर्ण होने पर पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर्यावरणीय स्वच्छता प्रमाण पत्र देता है। प्रमाण पाने वालों को ही लाइसेंस जारी किया जाता है। ऐसे लाइसेंसी को ही जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा रायल्टी जमा कराकर खनन की अनुमति देने का नियम है। ईंट भट्ठा स्थापना के लिए बना यह सख्त कानून जिले में ताक पर रख दिया गया है। सूत्रों के अनुसार सदर तहसील क्षेत्र में पांच भट्ठे तो ऐसे हैं जिनके पास कोई कागजात नहीं है। सिरकोनी ब्लाक के एक ईंट भट्ठे में ईंट पकाया जा रहा है।
पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े के अनुसार जनपद में मात्र 126 ईंट भट्ठों को स्वच्छता प्रमाण पत्र दिया गया है और 36 भट्ठों की पत्रावली प्रक्रिया में है। वहीं खनन विभाग की सूची में 505 भट्ठे लाइसेंसी हैं। इनमें 214 भट्ठों से 213.85 लाख रायल्टी जमा कराई गई है। बाकी 291 भट्ठों के संचालकों से 241.32 लाख वसूली के लिए नोटिस जारी की गई है। सवाल यह है कि जब स्थापना नियमावली में रायल्टी जमा करते समय पर्यावरणीय स्वच्छता प्रमाण पत्र आवश्यक है तो खनन विभाग बिना प्रमाणपत्र के कैसे अनुमति दे दिया। जिम्मेदार अधिकारी बयान देने और कार्रवाई से कन्नी काट रहे हैं। बिना प्रक्रिया पूरी किए भट्ठों का संचालन गैर कानूनी है। सिरकोनी क्षेत्र में कुछ भट्ठों के अवैध संचालन की शिकायत मिली है। जल्द ही जांच कराकर संचालकों पर कार्रवाई की जाएगी।
मंगलेश दुबे
उपजिलाधिकारी सदर