राहगीरों की प्यास बुझाने वाले जलस्त्रोत हो रहे खंडहर
संवाद सूत्र महेबा आधुनिक संसाधनों के बढ़ने से पारंपरिक जलस्त्रोतों में शुमार कुएं खंडहर
संवाद सूत्र, महेबा : आधुनिक संसाधनों के बढ़ने से पारंपरिक जलस्त्रोतों में शुमार कुएं खंडहर होते जा रहे हैं। जिस कुएं के शीतल जल से लोगों के गले तर हुए तथा जीवनदान मिला वही कुआं अब खंडहर हो चले हैं। चिता का विषय है कि इनकी हालत कौन संवारेगा। अगर आम जनमानस ने ध्यान न दिया तो पारंपरिक जल स्त्रोत मिटते चले जाएंगे।
पिथऊपुर संपर्क मार्ग के सामने जोल्हूपुर मदारीपुर मार्ग के किनारे निर्मित कुएं में ड़े-बड़े पेड़ उग आने की वजह से वह खंडहर हो चला है। गांव के निवासी छेदा सिंह चंदेल ने बताया कि इस कुएं का निर्माण बुजुर्गों के द्वारा 100 वर्ष पहले कराया गया था। उस समय मदारीपुर मार्ग भी नहीं बना था। कुएं से अभैदेपुर, पिथऊपुर, दमरास, जरारा, लौना आदि गांव की दूरी लगभग तीन-चार किमी है। 100 वर्ष तक इसके पानी से लोगों ने प्यास बुझाई उस समय गांव के लोग चंदा करके हर वर्ष बारिश के बाद इसकी सफाई करवाते थे तथा दीपावली के पर्व पर रंगाई पुताई होती थी। अभैदेपुर निवासी राजन सिंह ने बताया कि जब से इंडिया मार्का हैंडपंप चालू हुए तब से पारंपरिक जल स्त्रोत में शुमार कुएं बर्बाद हो रहे हैं। अभैदेपुर निवासी कल्लू सिंह ने बताया कि यह कुआं खड़गुई मौजे में है जो टीकाराम के कुआं के नाम से प्रसिद्ध है। बीडीओ अश्विनी कुमार सिंह ने बताया कि पारंपरिक जल स्त्रोतों को सुधारने के सभी ग्राम पंचायतों को पहले से निर्देश हैं। यह कुआं जिस ग्राम पंचायत के दायरे में होगा वहां के प्रधान एवं सचिव को सुधार कराने का निर्देश दिया जाएगा।