विपदा में उजड़ा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का 'घर संसार'

संवाद सहयोगी कालपी यमुना का जलस्तर कम होते ही यमुना पट्टी के गांवों में तबाही का मंजर साफ दिखने लगा है। लोगों के घर ढह चुके हैं पशुबाड़ों का पता नहीं। यह देख ग्रामीणों की आंख भर आती है कि अब आगे कैसे जिदगी चलेगी। यमुना का जलस्तर मंगलवार से लगातार कम हो रहा है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक बुधवार को यमुना का जलस्तर 109.85 सेमी मीटर दर्ज किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 12 Aug 2021 07:25 PM (IST) Updated:Thu, 12 Aug 2021 07:25 PM (IST)
विपदा में उजड़ा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का 'घर संसार'
विपदा में उजड़ा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का 'घर संसार'

संवाद सहयोगी, कालपी : यमुना का जलस्तर कम होते ही यमुना पट्टी के गांवों में तबाही का मंजर साफ दिखने लगा है। लोगों के घर ढह चुके हैं पशुबाड़ों का पता नहीं। यह देख ग्रामीणों की आंख भर आती है कि अब आगे कैसे जिदगी चलेगी।

यमुना का जलस्तर मंगलवार से लगातार कम हो रहा है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक बुधवार को यमुना का जलस्तर 109.85 सेमी मीटर दर्ज किया गया। शहर के जिन मोहल्लों में बाढ़ का पानी आ गया था वहां से पानी घट चुका है। साफ सफाई जारी है लेकिन यमुना पट्टी के गांवों में बाढ़ का पानी उतरते ही ग्रामीण अपना घर देखने जैसे ही पहुंचते हैं तो उनकी आंख भर आती है। बाढ़ से उनके घर पूरी तरह ढह चुके हैं। उनके घर के स्थान पर मलबा व कीचड़ मात्र बचा और सारा साजो सामान सब कुछ तबाह हो गया है। यह हाल यमुना पट्टी के शेखपुर बुल्दा, कीरतपुर, हीरापुर, मैनूपुर, मंगरौल, पड़री, नरहान, सिमरा, गुलौली, सुरौली आदि गांव का है।

दस फीट ऊपर तक भरा था पानी

मंगरौल गांव की आंबेडकर नगर बस्ती में गरीबों के घरों में बाढ का पानी दस दस फीट तक भर गया था जिससे लोगों को अपना घर छोड़कर गांव के स्कूल में आश्रय लेना पड़ा था। गरुवार को बाढ़ का पानी उतर गया तब लोग अपने घरों को देखने पहुंचे तो वहां मंजर देख ग्रामीण परेशान हो गए क्योंकि घरों की जगह सिर्फ मलबा बचा था।

अभी तो लोग राहत बांट रहे हैं लेकिन चार दिन बाद कौन इनकी सुध लेगा। यहां करीब 40 मकान ढह चुके हैं। रामदीन श्रीवास, बादल प्रजापति, विश्राम, धीरज, खिल्लन, प्रकाश, छोटे, चुन्नी, बृजलाल, अजय, विजय, दयाराम, शिवनाथ, पप्पू, ओमकार, गंगादीन आदि ग्रामीणों का भारी नुकसान बाढ़ में हुआ है। लोगों का दर्द :

पानी उतरने के बाद जब अपना घर देखने पहुंचीं तो उसका घर पूरी तरह से जमींदोज हो चुका था। उसके साथ गांव की और भी महिलाएं थीं उनके भी घर ढह चुके थे। सभी के एक दूसरे की ओर देखकर आंसू बह निकले और बोलीं भगवान ऐसी विपदा आई कि घरौंदा ही छीन लिया अब कहां रहेंगे।

बसंती अपना घर बाढ़ में ढह जाने से बहुत दुखी हैं। बड़ी मेहनत से उसने अपना घर बना पाया था। सब कुछ तबाह हो गया, कुछ नहीं बचा कैसे गुजर बसर होगी, कहां रहेंगे यह कहकर वह रोने लगती है।

जगरानी यमुना की बाढ़ का पानी घरों में आ जाने से हम लोग जरूरत का सामान लेकर गांव के स्कूल में चले गए थे बाकी सामान तो घर में ही रखा था सब कुछ बर्बाद हो गया है।

अजय बाढ़ ने पूरी जिदगी को बर्बाद कर दिया। जब घर ही ढह गया तो अब क्या बचा। हमको पूरी तरह खुले आसमान के नीचे हैं न घर है न ठिकाना, न रोटी है न पानी अब तो बस भगवान भरोसे है सारा काम।

प्राग

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