बिजदुआं का तालाब सहेज रहा वर्षा की हर बूंद

संवाद सूत्र माधौगढ़ धरती की कोख खाली हो रही है और पानी का संकट बढ़ता जा रहा है। इससे निपटने के लिए अब लोगों ने फिर परंपरागत जल स्त्रोतों की तरफ निहारना शुरू कर दिया है ताकि वर्षा के पानी को सहेजकर उसे रिचार्ज किया जा सके। ग्राम बिजदुआं में ग्रामीणों ने अब से सौ वर्ष पहले तालाब की खोदाई की थी। वहीं तालाब अब तक ग्रामीणों की पानी की जरूरत पूरी कर रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 06:40 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 06:40 PM (IST)
बिजदुआं का तालाब सहेज रहा वर्षा की हर बूंद
बिजदुआं का तालाब सहेज रहा वर्षा की हर बूंद

संवाद सूत्र, माधौगढ़ : धरती की कोख खाली हो रही है और पानी का संकट बढ़ता जा रहा है। इससे निपटने के लिए अब लोगों ने फिर परंपरागत जल स्त्रोतों की तरफ निहारना शुरू कर दिया है ताकि वर्षा के पानी को सहेजकर उसे रिचार्ज किया जा सके। ग्राम बिजदुआं में ग्रामीणों ने अब से सौ वर्ष पहले तालाब की खोदाई की थी। वहीं तालाब अब तक ग्रामीणों की पानी की जरूरत पूरी कर रहा है।

लिए सौ वर्ष पहले गांव में पानी का भीषण संकट पैदा हो गया था। जिसको देखते हुए गांव वालों ने 6 बीघा का तालाब बना डाला था। यह तालाब पानी से अभी भी भरा हुआ है। इस तालाब के पानी की वजह से गांव के लोगों को कभी भी जल का संकट का सामना नहीं करना पड़ता है। गांव के घरों के लोग तालाब के पानी से कपड़े धोते हैं। स्नान आदि का काम चल जाता है और पशुओं के लिए भी पानी मिल जाता है। बारिश का पानी इस तालाब में जाता है। जिससे काफी पानी हो जाता है। अगर इसी तरह से लोग जागरुकता दिखाएं तो पानी के संकट से निजात पाई जा सकती है। इस तालाब को लेकर ग्रामीण बताते हैं कि सौ वर्ष पहले सूखा पड़ा था तब पानी का संकट पैदा हो गया था। तब गांव के लोगों ने मिल कर ग्राम सभा की जमीन पर 6 बीघा का तालाब बना डाला था। बाद में यही तालाब बरसात में पानी से लबालब भर गया था। जिससे पानी की समस्या खत्म हो गई थी। शारदा शुक्ला, राकेश, सतेन्द्र दीक्षित, सोनू आदि बताते हैं कि तालाब धीरे-धीरे गहराई कम हो गई थी 1990 शिवसरन पाण्डेय प्रधान थे तब इसको गहरा कराया गया था। साथ ही साफ सफाई भी कराई गई थी। अब पूरे गांव का वाटर लेबल कम नहीं होता है। घरों में लगे हैंडपंप बराबर पीने के लिए पानी देते हैं।

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