गांव से युवाओं का पलायन रोकने वाला प्रधान चाहिए

कुलदीप सिंह कालपी पंचायत चुनाव पांच वर्षों में किसी उत्सव के तरह आता है। गांवों में एक ऐसा माहौल तैयार होता है जहां लोग तत्परता के गांव के विकास की खुली बैठकें करते हैं। पांच सालों के कामों का खाका तैयार किया जाता है। इन्हीं कामों की बदौलत अगले प्रधान का चयन किया जाता है। कालपी तहसील के सुरौला गांव में ग्रामीणों की चौपाल हर रोज सजती है। प्रत्याशियों के वादों और इरादों को तौल कर ग्रामीण अपनी रुपरेखा तैयार कर रहे हैं। आइए देखते हैं गांव की कहानी ग्रामीणों की जुबानी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 06:20 PM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 06:20 PM (IST)
गांव से युवाओं का पलायन रोकने वाला प्रधान चाहिए
गांव से युवाओं का पलायन रोकने वाला प्रधान चाहिए

कुलदीप सिंह, कालपी

पंचायत चुनाव पांच वर्षों में किसी उत्सव के तरह आता है। गांवों में एक ऐसा माहौल तैयार होता है जहां लोग तत्परता के गांव के विकास की खुली बैठकें करते हैं। पांच सालों के कामों का खाका तैयार किया जाता है। इन्हीं कामों की बदौलत अगले प्रधान का चयन किया जाता है। कालपी तहसील के सुरौला गांव में ग्रामीणों की चौपाल हर रोज सजती है। प्रत्याशियों के वादों और इरादों को तौल कर ग्रामीण अपनी रुपरेखा तैयार कर रहे हैं। आइए देखते हैं गांव की कहानी ग्रामीणों की जुबानी। संवाद सहयोगी, कालपी : बाढ़ से बचाव व गांव में अस्पताल बनवाने वाले तथा गांव में पलायन रोकने वाले प्रत्याशी को ही प्रधान चुना जायेगा। अबकी बार गांव हित में वोट देकर पढ़ा लिखा प्रधान चुनेंगे।

यह बातें यमुना नदी किनारे बसे सुरौला गांव मे ओमकार के दरवाजे लगे नीम के पेड के नीचे बैठे ग्रामीण कर रहे थे। वीरेंद्र, मोहनलाल व सोहन से कहते हैं कि एक तो अपना गांव तहसील मुख्यालय से दूर जमुना किनारे है, यदि किसी की तबीयत खराब हो जाए तो या फिर कदौरा ले जाओ या फिर कालपी। तब तक आदमी का दम निकल जाए। वहीं राममोहन मनोज रवींद्र बोले कि अबकी बार जागरूकता के साथ प्रत्याशी को वोट करेगें। धर्मदास, धर्मेंद्र, रम्मू कहते हैं कि बाढ़ से भी बचाव के इंतजाम हों। ऐसा प्रधान चुनो कि जो इस समस्या से निजात दिला सके। वहीं जागेश्वर मइयादीन महेंद्र कहते हैं कि गांव में मनरेगा में यदि ईमानदारी से काम लोगों को दिया जाए तो ग्रामीणों को बाहर परदेश में जाकर पानी पूरी की ठेलिया व आटो न चलाना पड़े। गांव में ही वह भरण पोषण कर सकता है। अब हम लोग चकरघिन्नी नहीं बनेंगे और नही किसी की बातों में आयेंगे। अब तो सरकार भी गांवों को समृद्ध बनाने के लिए तमाम योजनाएं चला रही है। जब प्रधान अपना होगा तभी योजनाएं आएगी। ग्राम पंचायत - सुरौला

मतदाता ----- 920

आबादी ----- 2400

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