पांच रुपये की थाली में त्याग और समर्पण की झप्पी

शिवम सिंह उरई सेवाभाव का संकल्प ठान लो तो समाज को रचनाधर्मिता से जोड़ने में कोई दिक्कत नहीं होती है। लगभग डेढ़ वर्षों के कोरोना संक्रमण काल में लोगों की जीवनशैली बदलने लगी है। सामाजिक गतिविधियों से समाज की मुख्यधारा में कुछ लोग ऐसे जुड़ें कि वसुधैव कुटुंबकम की मूल भावना पारदर्शिता के साथ दिखने लगी। कोरोना काल में ऐसी प्रेरणा जिले के एक नव युवा ने जालौन में दिखाई है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 08 Aug 2021 07:32 PM (IST) Updated:Sun, 08 Aug 2021 07:32 PM (IST)
पांच रुपये की थाली में त्याग और समर्पण की झप्पी
पांच रुपये की थाली में त्याग और समर्पण की झप्पी

शिवम सिंह, उरई

सेवाभाव का संकल्प ठान लो तो समाज को रचनाधर्मिता से जोड़ने में कोई दिक्कत नहीं होती है। लगभग डेढ़ वर्षों के कोरोना संक्रमण काल में लोगों की जीवनशैली बदलने लगी है। सामाजिक गतिविधियों से समाज की मुख्यधारा में कुछ लोग ऐसे जुड़ें कि वसुधैव कुटुंबकम की मूल भावना पारदर्शिता के साथ दिखने लगी। कोरोना काल में ऐसी प्रेरणा जिले के एक नव युवा ने जालौन में दिखाई है। यह युवा हैं रोहित विनायक। रोहित विनायक ने कोरोना काल में लाचारी और संसाधनों से जूझ रहे लोगों को जीने की राह दिखा दी। लाकडाउन लगा तो जिला अस्पताल में ही एक भोजन का शिविर लगा दिया। जो गरीबों के लिए मिसाल बन गया। रोहित ने महज पांच रुपये में गरीबों को भोजन कराने का वीणा उठा लिया। उनका मकसद था कि कोई भूखा न सोए। यदि किसी के रुपया न हुआ तो उसे निश्शुल्क भोजन भी कराया। छोटे से मकसद के साथ शुरू कराए गए रोहित के अभियान में कारवां जुटने लगा।

जिला महिला अस्पताल में 50 रुपये की थाली को पांच रुपये खिलाकर तीमारदारों का दिल जीतने का काम किया है। इस महंगाई में पांच रुपये में पूड़ी और सब्जी के साथ मिठाई भी खिलाई। समाजसेवी रोहित विनायक कहते हैं लॉकडाउन के समय में बाहर से इलाज कराने आ रहे लोगों के पास खाने का इंतजाम नहीं था, लोग खाने की तलाश में भटक रहे थे। तब हमें महसूस किया, क्यों न इस तरह से ही लोगों की मदद की जाए। पांच रुपये में खाना उपलब्ध कराना शुरू कर दिया। अब इस मुहिम को डेढ़ वर्ष पूरे हो चुके हैं।अभी यह मुहिम चलती रहेगी।

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