गुरु रोपण मंदिर के जल्द बहुर सकते हैं दिन

जागरण संवाददाता उरई प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने के लिए दैनिक जागरण द्वारा बीते वर्ष अक्टूबर माह में चलाए गए अभियान पर पहल शुरू हो गई है। कालपी तहसील के अकबरपुर इटौरा में बने गुरू रोपण के मंदिर का कायाकल्प करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। जिससे उम्मीद है कि जल्दी ही इस मंदिर के दिन भी बहुर जाएंगे।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 06:41 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 06:41 PM (IST)
गुरु रोपण मंदिर के जल्द बहुर सकते हैं दिन
गुरु रोपण मंदिर के जल्द बहुर सकते हैं दिन

जागरण संवाददाता, उरई : प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने के लिए दैनिक जागरण द्वारा बीते वर्ष अक्टूबर माह में चलाए गए अभियान पर पहल शुरू हो गई है। कालपी तहसील के अकबरपुर इटौरा में बने गुरू रोपण के मंदिर का कायाकल्प करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। जिससे उम्मीद है कि जल्दी ही इस मंदिर के दिन भी बहुर जाएंगे।

जनपद में ऐतिहासिक धरोहरों की कमी नहीं है। महाभारत काल तक के स्थल यहां पर मौजूद हैं। कई स्थल पर्यटन में जरूर शामिल हो चुके हैं लेकिन इनके रखरखाव की जरूरत को महसूस किया जा रहा है। जिसको देखते हुए बीते वर्ष अक्टूबर माह में दैनिक जागरण में कालपी मांगे अपना अधिकार शीर्षक से खबरें लगातार प्रकाशित की थीं। जिसका अगर यह हुआ है कि जनप्रतिनिधियों के साथ ही जिला प्रशासन की नींद भी टूटी। कई स्थलों के संरक्षण के लिए प्रस्ताव भेजे गए हैं। जिनमें से ग्राम अकबरपुर इटौरा का रोपण गुरू का मंदिर भी शामिल है। यह प्राचीन मंदिर अत्यंत ख्याति प्राप्त होने के साथ ही स्थानीय लोगों की आस्था का प्रतीक है। मंदिर परिसर में ही विशालकाय तालाब भी बना हुआ है। संवत 1672 में अकबर द्वारा बनवाए जाने का मिलता है उल्लेख

इस मंदिर के इतिहास की बात करें तो संवत 1672 में अकबर द्वारा बनवाए जाने का उल्लेख मिलता है। किवदंती है कि गुरू रोपण उन्नाव जिले के टोरिया केड़ा राज घराने से संबंध रखते थे। वैराग्य हो जाने के चलते लोहरगांव के पास सदगुरू आश्रम में उन्होंने तपस्या की थी। भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उनको अनेक सिद्धियां प्रदान की थीं। उनके चमत्कारिक शक्तियों की बात जब अकबर के मंत्री ने राजा को बताई तो वह गुरू की परीक्षा के लिए यहां आए थे और गुरु से प्रभावित होकर इस मंदिर का निर्माण कराया था। बोले ग्रामीण

- यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रतीक है। अत्यंत प्राचीन होने के चलते इसका संरक्षण किया जाना जरूरी है।

दिवाकर चतुर्वेदी - इस मंदिर की ख्याति दूर तक है। इसका कायाकल्प होने से गांव ही नहीं बल्कि हर भक्त को खुशी होगी। मंदिर का रखरखाव जरूरी है।

प्रफुल्ल शर्मा कोट

ऐतिहासिक धरोहरों को संवारने के लिए हर स्तर से प्रयास किए जा रहे हैं। कालपी क्षेत्र के विधायक ने भी अनूठी पहल की है।

कौशल किशोर, एसडीएम कालपी

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