गोशाला संचालन से समृद्ध बनेंगे स्वयं सहायता समूह

धनंजय त्रिवेदी उरई ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़कर उनको आर्थिक रूप स

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Feb 2021 11:39 PM (IST) Updated:Fri, 05 Feb 2021 11:39 PM (IST)
गोशाला संचालन से समृद्ध बनेंगे स्वयं सहायता समूह
गोशाला संचालन से समृद्ध बनेंगे स्वयं सहायता समूह

धनंजय त्रिवेदी, उरई : ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़कर उनको आर्थिक रूप से सबल बनाने के लिए ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह संचालित किए जा रहे हैं। इससे महिलाओं की स्थिति में काफी बदलाव भी आया है। अब इनको अधिक प्रोत्साहन दिया जा रहा है। कई कार्यक्रमों से जोड़ने के बाद अब इन्हें गोशालाओं के संचालन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। ताकि समूह समृद्ध बन सकें। इसके साथ ही गोबर से बनाए जाने वाले उत्पादों को ब़ढ़ावा मिल सके।

आधी आबादी की मजबूती के लिए सरकार तमाम प्रयास कर रही है। इसके लिए मिशन शक्ति संचालित किया गया है। हालांकि पहले से ही महिलाओं के उत्थान की दिशा में कदम आगे बढ़ाए जा चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है। उनको खर्च के लिए परिवार के मुखिया के ही आश्रित रहना पड़ता है। बहुत से ऐसे परिवार हैं जो गरीबी की वजह से अपना स्तर नहीं सुधार पाते हैं। जिसको देखते हुए स्वयं सहायता समूहों का संचालन किया गया ताकि महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत होकर अपने घर परिवार की आजीविका को बेहतर ढंग से संचालित कर सकें। वर्तमान में जिले में 7000 स्वयं सहायता समूह गठित हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में काम कर समूहों के सफल संचालन कर रही हैं। अब कई कई समूहों को गोशाला संचालन से जोड़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। साथ ही स्वयं सेवी संस्था संचालित करने वाली महिलाओं को गायें लेने के लिए भी भूमिका तैयार की गई है। दो समूह फिलहाल इसके लिए आगे आए हैं। साथ ही कई महिलाओं ने गायें लेने के लिए इच्छा व्यक्त की है। जिसको मूर्त रूप देने के लिए तैयारी की जा रही है। गुरुवार की शाम को इस संबंध में सीडीओ ने बैठक भी ली है।

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गोशालाओं का गोबर उत्पाद बनाने के आएगा काम :

जिले में कई स्वयं सहायता समूह व संस्थाएं गाय के गोबर से दीए, मूर्तियां, गमले आदि बनाने का काम करती हैं। इससे उनको खासा लाभ भी मिला है। गोशालाओं का गोबर इन कामगार महिलाओं को दिया जाएगा जिससे आर्थिक लाभ होगा। साथ ही गोबर से बने उत्पादों को बढ़ावा भी मिलेगा।

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गायों का दूध, घी भी बेच सकेंगी महिलाएं

गोशालाओं में जो भी दूध होगा उससे महिलाएं आर्थिक लाभ ले सकती हैं। दूध से कई प्रकार से खाद्य पदार्थ भी बनाकर उनकी बिक्री करने का रास्ता भी तैयार होगा।

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यह समूह कर रहे शुरुआत :

गोशाला संचालन के लिए पलक स्वयं सहायता समूह परेछा व पिडीरी की भगवती देवी का ओरछा समूह है। इसके अलावा 25 महिलाओं ने 2244 गोवंश को गोद लेने का निर्णय लिया है। महिलाओं ने शुक्रवार को गोशालाओं की दशा भी देखी। विनीता पांडेय महिलाओं के साथ गोशालाओं को देखने के लिए गईं ताकि उनकी स्थिति का आंकलन किया जा सके।

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जिले में समूहों की स्थिति पर नजर :

जिले में कुल समूह - 7,000

समूहों से जुड़े परिवार - 73,500

कृषि क्षेत्र से जुड़े समूह - 2,061

जुड़े परिवार - 15,266

अन्य व्यवसाय से जुड़े समूह - 988

जुड़े परिवार 2,965

------------------- गोशालाओं के संचालन के लिए दो समूह आगे आए हैं। इनके अलावा 25 महिलाओं ने गोवंश गोद लेने की इच्छा व्यक्त की है। जो महिलाएं गायों को गोद लेंगी उनको तीस रुपये प्रति गाय के हिसाब से भरण पोषण के लिए दिया जाएगा। फिलहाल इसके अधिक सहायता देने की अभी कोई योजना नहीं हैं।

अशोक कुमार गुप्ता, डीसी, एनआरएलएम

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