बेमौसम बारिश से बोया गया बीज खराब
-दलहन-तिलहन की बोआई कर चुके किसानों को नुकसान - दूसरी ओर पलेवा को सूखे पड़े खेतों को
-दलहन-तिलहन की बोआई कर चुके किसानों को नुकसान
- दूसरी ओर पलेवा को सूखे पड़े खेतों को हुआ लाभ संवाद सूत्र, महेबा : अक्टूबर के महीने में बारिश हो जाने की वजह से दलहन तिलहन की बोआई कर चुके किसानों को भारी नुकसान हुआ है। वहीं पलेवा के लिए जो खेत सूखे पड़े थे, उन किसानों को पानी से फायदा मिला है।
इस समय किसान रबी फसल की तैयारी में जुटा है। महेबा व कदौरा क्षेत्र में 40 प्रतिशत क्षेत्रफल में दलहन एवं तिलहन की बोआई हो चुकी थी। रविवार की रात एवं सोमवार कि सुबह तेज बारिश होने से खेत जलमग्न हो गए। किसानों ने बताया कि चना, मसूर, मटर, सरसों के महंगे बीज खरीद कर बोआई कर चुके थे जिसमें मानक के मुताबिक उर्वरक भी डाली गई थी। अधिक बारिश होने की वजह से खेतों में पानी भर जाने के कारण पूरा बीज सड़ कर नष्ट हो जाएगा। जिन खेतों में पानी कम भरा है उनमें जर्मन नेशन तो हो सकता है लेकिन उसके साथ खरपतवार जमा हो जाने की वजह से फसल बेकार हो जाएगी। इसके अलावा बाजरा, कुम्हेड़ा की फसल को भी पानी से नुकसान हुआ है।
सूखे खेतों का अब नहीं करना पड़ेगा पलेवा
किसानों ने बताया कि जोताई के समय जिन खेतों में बड़े टीले निकल आए थे वह सूखे खेत पलेवा के लिए पड़े थे। सरकारी, निजी नलकूप एवं नहरों से पानी मिलने की आस में किसान भटक रहे थे। ऐसे किसानों को बारिश से लाभ हुआ है। अब गेहूं की बोआई के लिए भी पलेवा नहीं करना पड़ेगा और आसानी से बोआई हो जाएगी।
किसानों की बात
इस वर्ष बड़े समय से दलहनी और तिलहनी फसल की बोआई हो गई थी। जिससे किसानों को अच्छी पैदावार की उम्मीद थी। बारिश हो जाने की वजह से पूरी लागत पानी में समा गई जिससे किसानों को भारी क्षति हुई है।
रामकुमार
सैकड़ों हेक्टेयर जमीन पलेवा के लिए पड़ी थी। जिसकी सिचाई में किसानों के हजारों रुपए खर्च हो जाते। बारिश हो जाने की वजह से किसानों का पलेवा का खर्चा बच गया जिससे काफी राहत मिली है।
मुलायम सिंह
जिम्मेदार बोले
किसानों ने जहां भी दलहन एवं तिलहन की बोआई कर दी थी। अगर खेतों में पानी नहीं भरा है तो बीज का अंकुरण हो जाएगा। पलेवा के लिए सही समय पर बारिश हुई है जिसका फायदा होगा।
डा. राजीव कुमार सिंह, कृषि विशेषज्ञ