प्रगतिशीलता ही साहित्य की मुख्य धारा

संवाद सहयोगी कोंच कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद्र की जयंती पर भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) एवं प्रगतिशील लेखक संघ ने मुंशी प्रेमचंद और आज का समाज विषयक वेबिनार गोष्ठी का आयोजन किया। इसमें मुंशी जी के जीवन पर विस्तार के साथ प्रकाश डाला गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 07:01 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 07:01 PM (IST)
प्रगतिशीलता ही साहित्य की मुख्य धारा
प्रगतिशीलता ही साहित्य की मुख्य धारा

कार्यक्रम

- कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर हुआ वेबिनार

- वक्ता बोले, समाज की गुत्थियों को सुलझाता है साहित्य

संवाद सहयोगी, कोंच : कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद्र की जयंती पर भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) एवं प्रगतिशील लेखक संघ ने मुंशी प्रेमचंद और आज का समाज विषयक वेबिनार गोष्ठी का आयोजन किया। इसमें मुंशी जी के जीवन पर विस्तार के साथ प्रकाश डाला गया।

गोष्ठी में बोलते हुए वरिष्ठ लेखक एवं स्तंभकार जाहिद खान ने कहा कि साहित्य का काम अपने समय, समाज और संस्कृति की गुत्थियों को सुलझाने में मदद करना है। प्रगतिशीलता ही साहित्य की मुख्य धारा मानी जाती है। साहित्य, संस्कृति और समाज विज्ञान के दूसरे अनुशासनों ने इस दिशा में मिल-जुलकर काम किया है। प्रलेस के प्रांतीय सचिव डॉ. मोहम्मद नईम ने कहा कि कथा सम्राट के निधन के 85 सालों बाद भी होरी, धनिया, घीसू और माधव जैसे तमाम किरदार आज भी हमारे आसपास निरीह और असहाय अवस्था में घूम रहे हैं। महाजनी सभ्यता नए रूपों में हमारे सामने है। हामिद के हाथ में चिमटा नहीं, मोबाइल फोन है। मानवीय संवेदनाएं हमारे रिश्तों और हमारे समाज से खत्म हो रही हैं। इप्टा कोंच के सरंक्षक अनिल वैद ने कहा कि प्रगतिशील आंदोलन का प्रारंभ ही साम्राज्यवाद और पूंजीवाद के विरोध में हुआ था। गोष्ठी का प्रारंभ इप्टा रंगकर्मियों साहना खान, रानी कुशवाहा, कोमल अहिरवार, आदर्श अहिरवार के जनगीतों से हुआ। संचालन पारसमणि अग्रवाल ने किया। इस दौरान टिकल राठौर, राशिद अली, भास्कर गुप्ता, अमन खान, दानिश मंसूरी, प्रिया, अमन, भानुप्रताप, विशाल याज्ञिक, सैंकी यादव, योगवेंद्र आदि रहे।

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