ड्यूटी में डॉक्टरों की निष्ठा से कोरोना को हराने सफल हुए मरीज

भी कर्मचारी ड्यूटी करते है लेकिन कोरोना काल में जि

By JagranEdited By: Publish:Tue, 30 Jun 2020 11:15 PM (IST) Updated:Tue, 30 Jun 2020 11:15 PM (IST)
ड्यूटी में डॉक्टरों की निष्ठा से कोरोना को हराने सफल हुए मरीज
ड्यूटी में डॉक्टरों की निष्ठा से कोरोना को हराने सफल हुए मरीज

जागरण संवाददाता, उरई : कोरोना काल में डॉक्टरों ने अपने दायित्व का निर्वहन पूर्ण निष्ठा से किया। धरती के भगवान कहे जाने वाले चिकित्सकों के सेवाभाव का हर शख्स ने दिल से सम्मान किया। विधानचंद राय की जयंती को डॉक्टर्स डे के रूप में मनाया जाता है, इसको लेकर चिकित्सकों से बातचीत में उन्होंने कोरोना संकट काल के अपने अनुभव साझा किए।

कोरोना काल के समय में सबसे अधिक जान को जोखिम में डाल कर किसी ने काम किया है तो वह हैं सैंपल कलेक्शन सेंटर के चिकित्सक। एपीडेमियोलॉजिस्ट महेंद्र कुमार शुरुआत के दिनों से ही कोरोना वायरस के मरीजों और उनके संपर्क में आए लोगों से बातचीत कर तह तक पहुंचने की कोशिश में जुटे रहे।

कोरोना काल में दायित्व का निर्वाहन कर रहे डॉक्टर बोले जो ड्यूटी पहले कर रहे थे। उसकी तुलना में अलग तरह का अनुभव प्राप्त हुआ है। दिन रात सिर्फ कोरोना के मरीजों के ऊपर ध्यान लगा रहता है। खांसी, जुकाम व बुखार के मरीजों से लेकर कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिग करने के साथ अपने आप को सुरक्षित रखते हुए लगातार कार्य किया जा रहा है। इस दौरान अपने परिवार की जिम्मेदारियां भी उठानी होती है।

- महेंद्र कुमार, एपीडेमियोलॉजिस्ट --

कोरोना काल के समय हम बराबर सैंपल कलेक्शन सेंटर में काम कर रहे हैं। इसे अपनी जिम्मेदारी समझने के साथ आमजन की सुरक्षा को ध्यान में रख कार्य कर रहे हैं। हमेशा यही कोशिश रहती है कि कभी भी काम के प्रति लापरवाही न हो। समय से ड्यूटी पर आने से लेकर पूरा काम करना ही ध्येय रहता है। घर जाकर अकेले में रहते हुए परिवार को भी अपने आप से अलग रखना होता है, यह समय बहुत कष्टकारी महसूस होता है।

- डॉ. पवन विश्नोई

जब से इस फील्ड में काम कर रही हूं। तब से किसी भी काम में डर नहीं लगता है। कोरोना काल में महिला होते हुए भी सैंपल कलेक्शन सेंटर में बराबर ड्यूटी कर रहे हैं। इसके साथ ही घर जाकर अपने लिए खाना बनाने से लेकर अपना पूरा काम स्वयं करती हूं। ड्यूटी करने से कभी भी हताश नहीं हुई।

- डॉ. श्वेता कोरोना काल के समय में फार्म को भरने से लेकर एक-एक कर सभी लोगों को बुलाना और सैंपलिग कराने का काम अलग तरह का अनुभव रहा। इस बीच हमेशा कोरोना वायरस के मरीजों के बीच में खुद को सुरक्षित रखते हुए कार्य करना होता है। जो जिम्मेदारी मिली, उसे पूरे मन से करने की कोशिश जारी है।

- देवकी नंदन, फाइलेरिया चिकित्सक -- कोरोना काल के समय में सभी प्राइवेट अस्पताल बंद थे। सरकारी अस्पताल ही आमजन का एक मात्र सहारा है। इस दौरान मरीजों का इलाज करने के साथ बचाव के तरीके बताए जा रहे हैं। मन में एक ही इच्छा रहती है कि सभी सुरक्षित रहें।

- डॉ. संध्या, वरिष्ठ परामर्शदाता

----- डॉक्टरों की कमी और संसाधनों के अभाव के बीच कोरोना काल में मरीजों को लगातार बेहतर सुविधा प्रदान करना ही मुख्य ध्येय रहा। इस दौरान मरीजों को देखने के साथ जागरूक करते हुए बहुत खुशी मिलती थी। यह आगे भी जारी रहेगी।

- डॉ. अंकित गुप्ता, बाल रोग विशेषज्ञ ----

डॉक्टर की कमी के बावजूद तन मन धन से दिन रात सेवा करने में कब इतना समय निकल गया, पता ही नहीं चला। कभी भी ड्यूटी के बाद भी फोन आता है तो अस्पताल में आकर सेवा करना अपना फर्ज समझते हैं और कभी तकलीफ का अनुभव नहीं किया।

- एनआर वर्मा, चिकित्सा अधिकारी ----

कोरोना काल में जब लोग घर में बंद थे, ऐसे में डॉक्टर ही मरीजों को सेवा दे रहे हैं। मरीजों के इलाज में कोई कमी न रह जाए, इसके लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। यह जरूर है कि आमजन के साथ खुद की भी सुरक्षा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। सेवा ही धर्म है का संकल्प कभी भी मन से अलग नहीं हुआ।

- डॉ. एसके पाल, बाल रोग विशेषज्ञ

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