जिले में नहीं चल रहा एक भी बाल संरक्षण गृह

जागरण संवाददाता उरई जिले में एक भी बाल संरक्षण गृह नहीं है। जो बचे बाल गृह भेजने वाले होते थे उनको ललितपुर भेजा जाता है। पहले जिले में यह व्यवस्था थी लेकिन वर्ष 2004 में इसे बंद कर दिया गया। बाद में कोई सार्थक पहल नहीं की गई। हालांकि अब अनाथ बचों को रखने के लिए जरूरत महसूस की जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 07:57 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 07:57 PM (IST)
जिले में नहीं चल रहा एक भी बाल संरक्षण गृह
जिले में नहीं चल रहा एक भी बाल संरक्षण गृह

जागरण संवाददाता, उरई : जिले में एक भी बाल संरक्षण गृह नहीं है। जो बच्चे बाल गृह भेजने वाले होते थे उनको ललितपुर भेजा जाता है। पहले जिले में यह व्यवस्था थी लेकिन वर्ष 2004 में इसे बंद कर दिया गया। बाद में कोई सार्थक पहल नहीं की गई। हालांकि अब अनाथ बच्चों को रखने के लिए जरूरत महसूस की जा रही है।

लावारिस बच्चों के लिए पहले मोहल्ला बघौरा में बाल संरक्षण गृह खोला गया था। किराए के भवन में इसे संचालित किया जाता रहा। प्रोबेशन विभाग इसकी देखरेख करता था लेकिन सुविधाओं के अभाव में इसको वर्ष 2004 में बंद कर दिया गया। इसके बाद जरूरतमंद बच्चों को ललितपुर के बाल संरक्षण गृह भेजा जाने लगा। हालांकि इधर सरकार ने कोरोना महामारी में अनाथ हुए बच्चों के लिए जिनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है ऐसे बच्चों का रखरखाव करने के निर्देश दिए हैं। मगर बाल गृह की कोई व्यवस्था ही नहीं है। जिला महिला कल्याण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कोरोना महामारी से दौरान जो बच्चे अनाथ हुए हैं उनको चिन्हित कर लिया गया है। 25 का सत्यापन कर सरकार की योजना से लाभांवित कराया जा रहा है। कुल चार बच्चे ऐसे हैं जिनके माता पिता दोनों की मृत्यु हो चुकी है लेकिन उनकी देखरेख व परवरिश करने वाले उनके रिश्तेदार हैं। फिलहाल ऐसा कोई मामला नहीं है जिसके लिए बाल गृह की जरूरत हो। कोट

जरूरत होगी तो कोई व्यवस्था विभाग करेगा। फिलहाल सरकार के निर्देश पर जो सुविधाएं पात्र बच्चों को दी जानी है उनको दिया जा रहा है।

गुलाब सिंह, अतिरिक्त मजिस्ट्रेट व प्रभारी प्रोबेशन अधिकारी

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