एटीएम हैकरों का गढ़ बन गया कालपी क्षेत्र
संवाद सहयोगी कालपी यमुना पट्टी के गांव कभी हरी मिर्च व सब्जी की पैदावार के लिए मशहूर थे लेकिन अब यह गांव एटीएम हैकरों के गांव के नाम से पूरे देश में विख्यात हो रहे हैं। यहां के युवा नौकरी करने के बहाने अन्य प्रदेशों में जाकर एटीएम हैक करने का अवैध कारोबार कर रहे हैं इसमें कुछ नगर के युवा भी शामिल हैं।
संवाद सहयोगी, कालपी : यमुना पट्टी के गांव कभी हरी मिर्च व सब्जी की पैदावार के लिए मशहूर थे लेकिन अब यह गांव एटीएम हैकरों के गांव के नाम से पूरे देश में विख्यात हो रहे हैं। यहां के युवा नौकरी करने के बहाने अन्य प्रदेशों में जाकर एटीएम हैक करने का अवैध कारोबार कर रहे हैं इसमें कुछ नगर के युवा भी शामिल हैं।
यमुना पट्टी के देवकली, हीरापुर, गुढ़ा, मदारपुर आदि गांवों के युवा रातों रात लखपति बनने का सपने को पूरा करने के लिए एटीएम हैक करने के अवैध कार्य में लिप्त हो रहे हैं। अभी चार पांच दिन पूर्व कोतवाली पुलिस ने नगर से दो युवकों को एटीएम हैकिग के मामले में जेल भेजा था। अब शुक्रवार को भी पांच लोगों को पुलिस ने उनकी निशानदेही पर पकड़ा है। ये युवा गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, झारखंड आदि राज्यों में जाकर नौकरी करने के बहाने एटीएम हैक करते हैं। करीब छह माह पूर्व गुजरात प्रांत के मौरवी जिले से आई पुलिस ने देवकली के एक युवक को एटीएम हैक करने के मामले में पकड़ा था और उसे लेकर उसके साथियों को पकड़ने कालपी आई थी। तब तत्कालीन सीओ आरपी सिंह ने पकड़े गए युवक से एटीएम हैक करने का डेमो भी करवाया था। इससे पहले भी कई बार पुलिस ने एटीएम हैक करने वालों को पकड़ा तो लेकिन नजराना लेकर उन्हें छोड़ दिया जाता था। जुर्म की कमाई से बनाए आलीशान मकान :
देवकली गांव के दो युवकों ने रातोंरात कार, महंगी बाइक व आलीशान मकान बनाकर सभी को चौंका दिया था। वो भी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं वहीं कुछ दिन पहले पकड़े गए ईलू निषाद व हैप्पी से पूछताछ के दौरान पता चला था कि विभिन्न बैंकों में खाता खुलवाते हैं, जिसमें अपनी ई-मेल आईडी का प्रयोग करते हैं। लालच देकर फंसाते हैं जाल में :
खाताधारकों को बहला फुसलाकर व विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभ का लालच देकर उनके एटीएम कार्ड व पासबुक ले करके अन्य साथियों को दे देते हैं। विभिन्न माध्यमों से जैसे ओएलएक्स पर क्रय विक्रय करके, गूगल पर अपना मोबाइल नंबर विभिन्न एजेंसियों के कस्टमर केयर के नाम से अंकित करते हैं। जब कोई व्यक्ति के साथ कोई समस्या हो जाती है तो गूगल से कस्टमर केयर का नंबर निकालता है जो हमारे नंबर होते हैं, जिससे बात करने पर हम लोग उस व्यक्ति को एनीडेस्क, एनीवेयर, क्विक सपोर्ट जैसे स्क्रीन शेयरिग ऐप व अन्य माध्यमों से लोगों के साथ धोखाधड़ी करके इन्हीं खातों में पैसा ट्रांसफर करवा लेते हैं।