कठिनाई, परेशानी सहे बिना नहीं आते अच्छे दिन

संवाद सहयोगी कोंच भारतीय जन नाट्य संघ इप्टा निश्शुल्क ग्रीष्मकालीन बाल एवं युवा रंगकर्मी नाट्य कार्यशाला के दसवें दिन टीवी एवं फिल्म अभिनेता गिरीश थापर ने कहा कि न सीखने की उम्र होती न सिखाने की उम्र होती है। जब भी जहां से जो सीखने को मिले हमें सीखना चाहिए क्योंकि कोई भी व्यक्ति कभी भी पूर्ण नहीं होता। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पतझड़ हुए बिना पेड़ पर नए पत्ते नहीं आते ठीक उसी तरह परेशानी और कठिनाई सहे बिना इंसान के भी अच्छे दिन नहीं आते। अच्छा कलाकार बनने के लिए अच्छा इंसान बनना जरूरी होता।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 06:23 PM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 06:23 PM (IST)
कठिनाई, परेशानी सहे बिना नहीं आते अच्छे दिन
कठिनाई, परेशानी सहे बिना नहीं आते अच्छे दिन

संवाद सहयोगी, कोंच : भारतीय जन नाट्य संघ इप्टा निश्शुल्क ग्रीष्मकालीन बाल एवं युवा रंगकर्मी नाट्य कार्यशाला के दसवें दिन टीवी एवं फिल्म अभिनेता गिरीश थापर ने कहा कि न सीखने की उम्र होती न सिखाने की उम्र होती है। जब भी जहां से जो सीखने को मिले, हमें सीखना चाहिए क्योंकि कोई भी व्यक्ति कभी भी पूर्ण नहीं होता। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पतझड़ हुए बिना पेड़ पर नए पत्ते नहीं आते, ठीक उसी तरह परेशानी और कठिनाई सहे बिना, इंसान के भी अच्छे दिन नहीं आते। अच्छा कलाकार बनने के लिए अच्छा इंसान बनना जरूरी होता।

कई सीरियल में अभिनय कर चुके अभिनेता बृजेश मौर्य ने कहा कि अच्छे जीवन का आंकलन न ही अंग्रेजी बोलने से, न ही अच्छे कपड़े पहनने से और न ही ठाट-बाट वाली जीवन शैली से होता है, बल्कि अच्छे जीवन का आंकलन तो यह है कि, कितने लोगों के चेहरे खिलते हैं, जब वो आपका नाम सुनते हैं। इसलिए किसी भी काम को छोटा नहीं समझें कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं होता, आप तो बस काम करते जाओ सही दिशा व दशा आपको सफलता की दहलीज पर पहुंचाएगा। बड़ोदा से अभिनय की पढ़ाई कर रहे श्रेयश गुप्ता ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि मुश्किल वो चीज होती है जो हमें तब दिखती है, जब हमारा ध्यान लक्ष्य पर नहीं होता। संघर्ष इंसान को मजबूत बनाता हैं फिर चाहे वो कितना भी कमजोर क्यों न हो। प्रांतीय सचिव डॉ. मुहम्मद नईम ने कहा कि अभिनय कहीं ढूढ़ना नहीं, वह हमारे अंदर ही छुपा होता है। ब्रह्मांड की सारी शक्तियां हमारे ही भीतर हैं, वो तो हम ही हैं जो उस शक्तियों को अंधेरा समझकर हाथ आंखों पर रखकर रोने लगते हैं।

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