दो मुट्ठी चावल में भगवान ने सौंप दिए थे दो राज्य

संवाद सहयोगी माधौगढ़ पहुज नदी के किनारे स्थित ग्राम मींगनी में बिरोने बाबा सरकार धाम पर

By JagranEdited By: Publish:Thu, 18 Feb 2021 06:49 PM (IST) Updated:Thu, 18 Feb 2021 06:49 PM (IST)
दो मुट्ठी चावल में भगवान ने सौंप दिए थे दो राज्य
दो मुट्ठी चावल में भगवान ने सौंप दिए थे दो राज्य

संवाद सहयोगी, माधौगढ़ : पहुज नदी के किनारे स्थित ग्राम मींगनी में बिरोने बाबा सरकार धाम पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में भागवताचार्य पं आचार्य राममोहन शास्त्री ने सुदामा व कृष्ण के मित्रता की कथा सुनाई।

उन्होंने कहा कि गुरु, मित्र, बहन, बेटी और भगवान के घर कभी खाली हाथ नहीं जाना चाहिए। सुदामा की पत्नी के बार-बार कहने पर जब सुदामा अपने बचपन के मित्र द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण के पास जाने तो तैयार हुए तो सुशीला ने पड़ोस से चावल मांग कर अपने पति सुदामा को दिए और कहा जाओ अतिशीघ्र द्वारिकाधीश के पास जाओ। जब सुदामा दीन-दुखी दशा में द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण भगवान के महल में पहुंचे तो द्वारपालों ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। सुदामा ने द्वारपालों को बताया कि वह भगवान श्रीकृष्ण के बचपन के मित्र हैं। द्वारपालों ने द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण को सुदामा के बारे में बताया तो भगवान श्रीकृष्ण अपने मित्र से मिलने के लिए नंगे पैर ही दौड़कर सुदामा से मिलने पहुंचे और सीने से लगा लिया। उन्होंने परात से पानी छुआ भी नहीं और अपने नेत्रों से बहे आंसुओं से मित्र के पैर धोए। आदर और सम्मान के साथ भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा से उनकी पत्नी सुशीला और बच्चों की कुशलता पूछी, तभी भगवान श्रीकृष्ण की नजर कांख में दबी चावल की पोटली पर पड़ गई तो भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा से वह चावल की पोटली छीन ली और दो मुट्ठी चावल खाते ही दो लोकों का राज्य सुदामा को दे दिया। जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण ने तीसरी मुट्ठी चावल खाना चाहे तो रुक्मिणी ने भगवान श्रीकृष्ण का हाथ पकड़ लिया। सुदामा और श्रीकृष्ण भगवान की मित्रता के सजीव वर्णन से भक्तों की आंखें नम हो गई। इस मौके पर पारीछत मायारानी, वनवारी लाल सहित कई लोग कथा सुनने पहुंचे।

chat bot
आपका साथी