मप्र का जाति प्रमाण पत्र दिखाने पर पर्चा निरस्त
संवाद सहयोगी कोंच परिहार समाज के कई प्रत्याशियों को उस समय निराश होना पड़ा जब वह मध्यप्रदेश के निवासी होने के साथ-साथ अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र लेकर आरक्षित सीट पर पर्चा भरने पहुंचे। यह देखकर उनका नामांकन निरस्त कर दिया गया।
संवाद सहयोगी, कोंच : परिहार समाज के कई प्रत्याशियों को उस समय निराश होना पड़ा जब वह मध्यप्रदेश के निवासी होने के साथ-साथ अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र लेकर आरक्षित सीट पर पर्चा भरने पहुंचे। यह देखकर उनका नामांकन निरस्त कर दिया गया।
परिहार (खंगार) समुदाय के लोग पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति में गिने जाते हैं। उन्हें वहां की सरकार अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र उपलब्ध कराकर सभी सुविधाएं अनुसूचित वर्ग की दिया करती है। इसके उलट यही परिहार समुदाय उत्तरप्रदेश में सामान्य यानी सवर्ण वर्ग में रखे गए हैं। पंचायत चुनाव में चूंकि ब्लॉक प्रमुख कोंच एवं जिला पंचायत अध्यक्ष सहित कई ग्राम पंचायतों में अनुसूचित वर्ग का आरक्षण है। इसलिए परिहार समुदाय के लोग जिनकी पत्नियां मध्यप्रदेश की रहने वाली हैं वह वहां के तहसीलदार से अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनवाकर आ गए और नामांकन करने विकास खंड पहुच गए। इनमें एक भाजपा के वरिष्ठ नेता की पुत्र वधू का भी नाम शामिल है। जो बीडीसी का चुनाव पुत्र वधु को लड़वाकर ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ने का मन बनाए हुए हैं। ग्राम पंचायत अंडा की प्रधान पद की सीट भी अनुसूचित वर्ग की है वहां भी नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए मध्यप्रदेश से अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी करवाकर गुरुवार को एक महिला अपने भतीजे के साथ नामांकन पत्र जमा करने पहुंची लेकिन चुनाव अधिकारियों ने आरक्षित सीटों पर उनके नामांकन पत्र जमा करने से इनकार कर दिया। बात जब बढ़ी तो तहसीलदार राजेश विश्वकर्मा वहां पहुंचे और उन्होंने बताया कि आरक्षण मध्यप्रदेश की सरकार ने दिया है चुनाव उत्तरप्रदेश में हो रहे हैं और यह परिहार समुदाय (खंगार) प्रदेश में सामान्य वर्ग रखे गए हैं। इसलिए वहां का आरक्षण यहां लागू नहीं हो सकता। निर्वाचन आयोग के नियमों को दिखाते हुए उनका पर्चा आरक्षित सीट पर लेने से साफ मना कर दिया। जिस कारण आरक्षण का लाभ लेने के लिए पहुंचे प्रत्याशियों को बैरंग लौटना पड़ गया।