पुलिस की सुस्ती से लंबित हैं पांच सौ विवेचनाएं
-कभी साक्ष्यों की कमी तो कभी जानबूझकर लटक जाती हैं जांच -महिला संबंधित अपराधों की जांच
-कभी साक्ष्यों की कमी तो कभी जानबूझकर लटक जाती हैं जांच -महिला संबंधित अपराधों की जांच में हुआ सुधार
जागरण संवाददाता, उरई : आपराधिक मामलों में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी पीड़ित पक्ष को पूरी तरह से न्याय मिल जाए। इसकी कोई गारंटी नहीं है जबकि कार्रवाई विवेचना की गुणवत्ता पर निर्भर है। कई वार साक्ष्यों के संकलन करने में समय लगने से विवेचना लंबित हो जाती है, तो कई बार विवेचक जानबूझकर विवेचना लटकाए रहते हैं। जिसका लाभ आरोपित पक्ष को मिल रहा है। जिले के 19 थानों में वर्तमान में करीब पांच सौ विवेचनाएं लंबित चल रही हैं। लंबित विवेचनाओं के मामले में जिले में पहले स्थान पर उरई कोतवाली है। हालांकि नौ माह के भीतर उरई कोतवाली में दर्ज मुकदमों की संख्या भी सबसे ज्यादा है। 16 सितंबर तक उरई कोतवाली में 626 मुकदमे दर्ज हुए हैं। निरोधात्मक कार्रवाई के तौर दर्ज मुकदमों में तो विवेचना पूरी होकर आरोप पत्र लग गया लेकिन इसके बावजूद 170 मुकदमों की विवेचना अभी लंबित है। दूसरे नंबर पर जालौन कोतवाली है। नौ माह में जालौन कोतवाली में 313 मुकदमे में दर्ज हो चुके हैं। जिनमें करीब सौ मुकदमों की विवेचना अभी चल रही है। पूरे जनपद में सितंबर माह तक दर्ज मुकदमों की संख्या 1900 पार कर गई है। हत्या, लूट, अपहरण, दुष्कर्म व छेड़खानी के जिन मामलों में आरोपित नामजद हैं। उन मामलों की विवेचना तो समयबद्ध तरीके से कर ली गई लेकिन चोरी, वाहन, चोरी, धोखाधड़ी के मुकदमों की विवेचनाओं के निस्तारण की स्थिति अच्छी नहीं है। वाहन चोरी के नब्बे फीसद मामलों में अपराधी का पता लगाने में पुलिस विफल रही मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट (एफआर) लगाकर उसे निस्तारित करने की रणनीति विवेचक अपना रहे हैं।
------------------------संगीन अपराधों के दर्ज मुकदमे लंबित विवेचनाएं
अपराध- मुकदमा - लंबित विवेचना
हत्या - 24 - 02
दुष्कर्म - 10 - 01
लूट - 07 - 02
चोरी ------ 36 - 28
धोखाध़ड़ी -45 ---- 32
------------------------बोले जिम्मेदार
पुलिस अधीक्षक रवि कुमार का कहना है कि पिछले महीने तक 700 विवेचनाएं लंबित थीं। मीटिग के बाद विवेचकों उनको समय से निस्तारित करने का निर्देश दिया गया। जिसके बाद सुधार हुआ है। वर्तमान में 500 विवेचना ही लंबित हैं। महिला संबंधी अपराधों की विवेचना गंभीरता हो इसके लिए मॉनीटरिग सेल गठित है। जालौन कोतवाली क्षेत्र में बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में न सिर्फ 15 दिन के भीतर विवेचना पूरी कर आरोप पक्ष लगा दिया गया बल्कि मजबूत पैरवी से सात माह में आरोपित को सजा दिलाने में भी सफलता मिली है।